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________________ पण्हावागरणेसु णं परित्ता वायणा, संखेजा अणुओगदारा, संखेजाओ पडिवत्तीओ, संखेजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संजाओ निजुत्तीओ, संखेजाओ संगहणीओ। से णं अंगट्ठयाए दसमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, पणयालीसं उद्देसणकाला, पणयालीसं समुद्देसणकाला, संखेजाणि पयसयसहस्साणि पयग्गेणं पण्णत्ताई। संखेजा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासया कडा णिबद्धा णिकाइया जिणपण्णता भावा आघविजंति पण्णविनंति परुविजंति निंदसिन्जति उवदंसिजंति। से एवं आया, से एवं णाया,एवं विण्णाया, एवं चरणकरणपरूवणया आघविजंति। से त्तं पण्हावागरणाई 10 / - समवायांगसूत्र, 546-549 / से किंतं पण्हावागरणाइं? पण्हावागरणेसुणं-अट्ठत्तरं पसिणसयं, अट्ठत्तरं अपसिणसयं, अट्ठत्तर पसिणापणिसयं, तंजहा-अंगुट्टपसिणाई, बाहुपसिणाई अदागपसिणाई, अन्नेवि विचित्ता विजाइसया, नागसुवण्णेहिं सद्धिं दिव्वा संवाया आघविजन्ति। पण्हावागरणाणं परित्ता वायणा, संखेजा अणुओगदारा, संखेजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेजाओ, निजुत्तीओ, संखेजाओ, संगहणीओ, संखेजाओ, पडिवत्तीओ। से णं अंगठ्ठयाए दसवमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, पणयालीसं अज्झयणा, पणयालीसं उद्देसणकाला, पणयालीसं समुद्देसणकाला, संखेजाई पयसहस्साइं पयग्गेणं, संखेजा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणन्ता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आपविजन्ति, पण्णविजन्ति, परूविजन्ति, दंसिजन्ति, निदंसिजन्ति, उवदंसिजन्ति। से एवं आया, एवं नाया एवं विण्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविजई, सत्तं पण्हावागरणाई। - नंदीसूत्र, 54 आक्षेपविक्षेपैहेतुनयाश्रितानां प्रश्नानां व्याकरणं प्रश्नव्याकरणम्, 7. आक्षण
SR No.004423
Book TitlePrakrit Agam evam Jain Granth Sambandhit Aalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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