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________________ जैन धर्म एवं दर्शन-154 जैन- तत्त्वमीमांसा-6 अनैकान्तिकदृष्टि से की गयी प्रथम परिभाषा हमें ईसा की चतुर्थ शती के प्रारम्भ में तत्त्वार्थसूत्र में मिलती है, जहाँ द्रव्य को गुण और पर्याययुक्त कहा गया है। इस प्रकार, द्रव्य की परिभाषा के संदर्भ में अनैकान्तिकदृष्टि का प्रयोग सर्वप्रथम तत्त्वार्थसूत्र में मिलता है। षद्रव्य ... यह तो हम स्पष्ट कर चुके हैं कि षद्रव्यों की अवधारणा का विकास पंचास्तिकाय की अवधारणा से ही हुआ है। लगभग 'ईसा की प्रथम-द्वितीय शताब्दी में ही पंचास्तिकायों के साथ काल को भी स्वतंत्र द्रव्य मानकर षद्रव्यों की अवधारणा निर्मित हुई थी। यद्यपि काल स्वतन्त्र द्रव्य है या नहीं? इस प्रश्न पर, लगभग ईसा की दूसरी शताब्दी से लेकर सातवीं शताब्दी तक, यह विवाद चलता रहा है, जिसके संकेत हमें . तत्त्वार्थसूत्र के भाष्यमान्य पाठ से लेकर विशेषावश्यकभाष्य की रचना तक अनेक ग्रंथों में मिलते हैं, किन्तु ऐसा लगता है कि सातवीं शताब्दी के पश्चात् यह विवाद समाप्त हो गया और श्वेताम्बर और दिगम्बर- दोनों परम्पराओं में षद्रव्यों की मान्यता पूर्णतः स्थिर हो गई, उसके पश्चात् उसमें कहीं कोई परिवर्तन नहीं हुआ। ये षद्रव्य निम्न हैं- धर्म, अधर्म, आकाश, जीव, पुद्गल और काल। आगे चलकर इन षद्रव्यों का वर्गीकरण अस्तिकाय–अनस्तिकाय, चेतन-अचेतन अथवा मूर्त-अमूर्त के रूप में किया जाने लगा। अस्तिकाय और अनस्तिकाय-द्रव्यों की अपेक्षा से धर्म-अधर्म, आकाश, जीव और पुद्गल- इन पाँच को अस्तिकाय और काल को अनस्तिकाय-द्रव्य माना गया। चेतन-अचेतन द्रव्यों की अपेक्षा से धर्म, अधर्म, आकाश, पुद्गल और काल-इन पाँच को अचेतन द्रव्य और जीव को चेतन-द्रव्य माना गया है। मूर्त और अमूर्त द्रव्यों की अपेक्षा से जीव, धर्म, अधर्म, आकाश और काल-इन पाँच को अमूर्त द्रव्य और पुद्गल को मूर्त द्रव्य माना गया है। जैसा कि हम पूर्व में कह चुके हैं कि विद्वानों ने यह माना है कि जैन-दर्शन में द्रव्य की अवधारणा का विकास न्याय-वैशेषिक दर्शन से प्रभावित है। जैनाचार्यों ने वैशेषिक-दर्शन की द्रव्य.की अवधारणा को अपनी पंचास्तिकाय की अवधारणा से समन्वित किया है, अतः जहाँ
SR No.004420
Book TitleJain Tattva Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages152
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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