________________ जैन धर्म एवं दर्शन-670 जैन - आचार मीमांसा -202 स्थान पर भृतक प्रेष्यारम्भ वर्जन प्रतिमा है जिसमें गृहस्थ उपासक स्वयं आरम्भ करने एवं दूसरे से करवाने का परित्याग कर देता है, लेकिन अनुमति-विरत नहीं होता है। ( 11. श्रमणभूत-प्रतिमा :- इस अवस्था में गृहस्थ उपासक की अपनी समस्त चर्या साधु के समान होती है। उसकी वेशभूषा भी लगभग वैसी ही होती है। वह भिक्षाचर्या द्वारा ही जीवन-निर्वाह करता है और लिए चुने हुए भोजन का त्याग कर देता श्वेताम्बर परम्परा की दृष्टि से वह साधु से इस अर्थ में भिन्न होता है कि 1. पूर्वराग के कारण कुटुम्ब के लोगों या परिचित जनों के यहाँ ही भिक्षार्थ जाता है। 2. केशलुञ्चन के स्थान पर मुण्डन करवा सकता है 3. साधु के समान विभिन्न ग्राम एवं नगरों में कल्पानुसार विहार नहीं करता है। अपने निवास नगर में ही रह सकता है। दिगम्बर परम्परा में इसके दो विभाग हैं - 1.क्षुल्लक और 2. ऐलक। क्षुल्लक :- यह दिगम्बर मुनि के आचार-व्यवहार से निम्न बातों में भिन्न होता है - 1. दो वस्त्र (अधोवस्त्र और उत्तरीय) रखता है, 2. केशलोच करता है या मुण्डन करवाता है, 3. विभिन्न घरों से माँग कर भिक्षा करता है। __ ऐलक :- आचार और चर्या में यह मुनि का निकटवर्ती होता है। यह एक कमण्डलु और मोरपिच्छी रखता है, केशलुञ्चन करता है, यह दिगम्बर मुनि से केवल एक बात में भिन्न होता है कि लोकलज्जा के नहीं छूट पाने के कारण गुह्यांग को ढंकने के लिए मात्र लंगोटी (चेल-वस्त्र) रखता है। शेष सब बातों में इसकी चर्या दिगम्बर मुनि के समान ही होती है। इस प्रकार यह अवस्था गृही-साधना की सर्वोत्कृष्ट भूमिका जैन धर्म के श्रावक आचार की उपर्युक्त समीक्षा करने के पश्चात् यह स्पष्ट हो जाता है कि जैन श्रावकों के लिए प्रतिपादित आचार के नियम वर्तमान सामाजिक सन्दर्भो में भी प्रासंगिक सिद्ध होते हैं। श्रावक-आचार के विधि-निषेधों में यूगानुकूल जो छोटे-मोटे परिवर्तन अपेक्षित हैं, उन पर विचार किया जा सकता है और युगानुकूल श्रावक धर्म की आचार-विधि आगमिक नियमों को यथावत् रखते हुए बनायी जा सकती है। आज हमारा दुर्भाग्य यही है कि हम जैन मुनि के आचार नियमों पर तो अभी भी गम्भीर चर्चाएँ करते हैं, किन्तु श्रावक धर्म की आचार-विधि पर कोई गम्भीरता पूर्वक विचार नहीं करते। आज यह मान लिया गया है कि आचार सम्बन्धी विधिनिषेध मुनियों के सन्दर्भ में ही है। गृहस्थों की आचार-विधि है या होनी चाहिए, इस