________________ खवए यखीणमोहेजिणेअसेढी भवेअसंखिज्जा। तव्विवरीओकालोसंखज्जगुणाइसेढीए।। - अचारांगनियुक्ति, गाथा 222-223 (नियुक्तिसंग्रह, पृ. 441) 70. सम्यग्दृष्टिश्रावकविरतानन्तवियोजकदर्शनमोहक्षपकोपशम कोपशान्तमोहक्षपकक्षीणमोहजिनाः क्रमशोऽसंख्येयगुण निर्जराः।। - तत्त्वार्थसूत्र (उमास्वाति) सुखलाल संघवी, 1.47 . 71. (अ). णिज्जुत्ती णिज्जुत्ती एसा कहिदा मए समासेण। अह वित्थार पसंगोऽणियोगदोहोदिणादव्वो।। आवासगणिज्जुत्ती एवं कधिदा समासओविहिणा। णोउवगँजदि णिच्चं सोसिद्धं, जादि विसुद्धप्पा।। . - मूलाचार (भारतीय ज्ञानपीठ) 691-692 एसोअण्णेगंथोकप्पदि पढिएं असज्झाए। आराहणा णिज्जुत्ति मरणविमत्तीय संगहत्थुदिओ। पच्चक्खाणावसयधम्मकहाओएरिसओ। - मूलाचार, 278-279 (ब) णवसोअवसोअवसस्सकम्ममावस्सयंति बोधव्वा। जुत्ति त्ति उवाअंतिण णिरवयवोहोदि णिज्जुत्ति।। - मूलाचार, 515 72. णवसोअवसोअवसस्स कम्म वावस्सयं ति बोधव्वा। जुत्ति त्ति उवाअंतिय णिरवयवोहोदि णिज्जुत्ति।। - नियमसार, गाथा 142, लखनऊ, 1931 73. देखें -कल्पसूत्र, स्थविरावली विभाग 74. देखें-मूलाचार षडावश्यक-अधिकार 75. थेरस्सणं अज विन्हुस्समाढरस्सगुत्तस्स अज्जकालए थेरेअंतेवासी गोयमसगुत्तेथेरस्सणं अज्जकालस्स गोयमसगुत्तस्स इमेदुवेथेराअंतेवासी गोयमसगुत्तेअज्ज संपलिए थेरेअज्जभद्दे, एएसि दुन्हवि गोयमसगुत्ताणंअज्ज बुढेथेरे। - कल्पसूत्र (मुनि प्यारचंदजी, रतलाम) स्थविरावली, पृ.233 माता [120]