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________________ 112 113 116 123 124 125 आगम निबंधमाला तीर्थों का विश्लेषण आगमाधार से(ठाणांग.) चौथा सन्यासाश्रम है तो जैन दीक्षा कब(ठाणांग.) आत्मसुरक्षा के तीन साधन(ठाणांग.) 115 देवों का मनुष्य लोक में आना या नहीं आना(ठाणांग.) साधु को तपस्या में धोवणपानी कल्पता है (ठाणांग-३) 117 अल्पवृष्टि-महावृष्टि कैसे होती ?(ठाणांग.) 118 भूकंप क्यों और कैसे ?(ठाणांग.) . .... साधु तथा श्रावक के तीन मनोरथ(ठाणांग.) .. 120 वक्ता कब बने, परोपदेशे पांडित्यं (ठाणांग.) मोक्षप्राप्ति में तप एवं क्रिया का मापदंड(ठाणांग.) चार कषाय एवं 16 कषायों का स्वरूप(ठाणांग.) चार विकथाओं तथा धर्मकथाओं का विश्लेषण(ठाणांग.) 130 / व्रत पच्चक्खाण से गृहस्थ भारी,या हल्के (ठाणांग.) . गृहस्थ साधु पर मातापिता होने का अधिकार जमावे(ठाणांग.) 136 69 | चिकित्सा-चिकित्सक-व्याधि का प्रज्ञान आगम से (ठाणांग.) शुभ कर्म दुखदायी : अशुभ कर्म सुखदायी(ठाणांग.) 142 अवधिज्ञान की उत्पत्ति एवं विनाश कैसे ?(ठाणांग.) 143 गच्छ में विघटन-संगठन के कारण (ठाणांग.) साधु-साध्वी एक मकान में ठहरे ?(ठाणांग.) 145 संयम में उपकारी दस(गुरु शिष्य सिवाय)(ठाणांग.) 147 श्रुत अध्ययन के उद्देश्य एवं लाभ(ठाणांग.) महीनों में 6 तिथि का घट-वध होना(ठाणांग.) 149 आयुष्य कर्म में घट-वध संभव(ठाणांग.) सात निह्नवों के सिद्धांत और समाधान(ठाणांग.) आयुर्वेद के आठ शास्त्र(ठाणांग.) देवों के चैत्यवृक्ष और कल्पवृक्ष (ठाणांग.) रोग उत्पन्न होने के 9 कारण(ठाणांग.) पुण्य संबंधी विविध विचारणा(ठाणांग.) भ.महावीर शासन के 9 जीव तीर्थंकर(ठाणांग.) / 10 144 148 151 152 157 158 160 163 166
SR No.004414
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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