________________ आगम निबंधमाला प्रश्न-१ मिथिलानगरी में कोलाहल क्यों हो रहा है ? उत्तर- नगरी के लोग अपने स्वार्थ एवं मोह के कारण रोते हैं / उसी का वह कोलाहल हो रहा है / प्रश्न-२ जलते हुए अंतःपुर की तरफ क्यों नहीं देखते हो ? उत्तर- जहाँ मेरा (मेरी आत्मा का) कुछ नहीं है वहाँ भवनों के जलने से मेरी आत्मा का कोई नुकशान नहीं है। प्रश्न-३ नगर को सुरक्षित अजेय बनाकर फिर दीक्षा लेना? / उत्तर- श्रद्धा, तप, संयम आदि से आत्मा को कर्मशत्रुओं से अजेय बनाया जा सकेगा। नगरी की अजेयता तो स्थाई रहने वाली नहीं है। प्रश्न-४ जलमहल आदि निर्माण कराकर, नगरी की शोभा बढा कर फिर दीक्षा लेना? उत्तर- महल एवं घर, संसार भ्रमण के बीच नहीं बनाकर, शाश्वत घर मोक्षस्थान को प्राप्त करना ही आत्मा के लिये श्रेयस्कर है। प्रश्न-५ चोर डाकुओ से नगर की रक्षा कर फिर दीक्षित होना? / उत्तर- राजनीति में अन्याय-न्याय सब कुछ संभव हो जाता है, चोर डाकु में झूठे बच जाते हैं, सच्चे दंड़ित हो जाते हैं। ऐसी यह राजनीति दोषयुक्त है. अत: त्याज्य है / प्रश्न-६ उदंड राजाओं को वश में करके, जीत करके फिर दीक्षित होना ? उत्तर- राजाओं को वश में करने की अपेक्षा एक आत्मा को ही वश में करना श्रेष्ठ है। युद्ध भी आत्म दुर्गुणों के साथ ही करना चाहिये / बाह्य संग्राम से कोई लाभ आत्मा को नहीं होता है। आत्म-विजय से ही सच्चे सुख की प्राप्ति होती है। प्रश्न-७ यज्ञ, दान, ब्राह्मण भोजन करवा कर तथा उन्हें दक्षिणा आदि देकर फिर दीक्षा लेना? उत्तर- प्रति मास 10 लाख गायों के दान की अपेक्षा कुछ दान नहीं करते हुए संयम साधना करना श्रेष्ठ है। प्रश्न-८ घोर गृहस्थाश्रम है अर्थात् गृहस्थ जीवन चलाना अत्यंत कठिन है, उससे पलायन नहीं करना चाहिये / अन्य सरल जीवन की / 17