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________________ आगम निबंधमाला की जाती रही है / वास्तव में कल्पसूत्र नंदीसूत्र कथित (1) चुलकल्प सूत्र (2) महाचुलकल्प सूत्र एवं अन्य कुछ जोड-जोडाकर तैयार कर पर्युषण में दुपहर में प्रवचन सभा मे सुनाना शरू किया / फिर उसका सभासदों में महत्त्व बढाने में उतरते उतरते अतिशयोक्ति में लगकर 14 पूर्वीभद्रबाहु का यह शास्त्र है ऐसी झूठी सेखी लगाना शरू किया / फिर उसके लिये एक झूठ के पीछे अनेक झठ कथन चले / फिर भी समझने वाले बुद्धिशाली समझ सकते है कि विक्रम की 12 वीं शताब्दि पूर्व के आचार्यों के ग्रंथों में कहीं भी कल्पसूत्र का नाम भी नहीं है / न ही किसी प्राचीन आचार्य की इस सूत्र पर व्याख्या बनी है तथा नंदी सूत्र में आगम सूची में पर्युषणा कल्प सूत्र का नाम नहीं है। ____नंदी सूत्र में 73 आगमों के नाम है, उसमें से 50 लगभग आगम आज उपलब्ध है ।श्वेतांबर परंपरा में 32 अथवा 45 आगम होने का जो कथन किया जाता है वह भी श्रद्धा का विषय मात्र है / वास्तव में 32 या 45 की संख्या में कोई भी संख्या कसौटी में सही उतरने जैसी नहीं है / दोनों ही सत्यता से दूर है अर्थात् वे 32-45 भी अधूरे हैं / अन्य अनेक आगम भी नंदी सूत्र में कहे गये आज प्रकाशित उपलब्ध हैं उन्हें शास्त्र नहीं गिनने का कोई खास प्रमाण आधार या योग्य तर्क भी नहीं है / प्रमाणिक आगम या अप्रमाणिक आगम की कोई भी परिभाषा कायम की जाय तो भी सरलता एवं सत्यनिष्ठता के साथ खोजने की बुद्धि से अनाग्रह भाव से अन्वेषण करने पर दोनों ही संख्या सत्य से बहुत दरू रहेगी / इस विषय में विशेष दिग्दर्शन आगे यथा प्रसंग किया जायेगा। निबंध-५ भगवान महावीर की शासन परम्परा ____ चौवीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के शासन में आगम परम्परा एवं शासन परंपरा कुछ विशिष्ट रूप से प्रवहमान हुई है / इसका मुख्य कारण है- हुण्डावसर्पिणी काल एवं 2000 वर्ष का भस्मग्रह; / 28 -
SR No.004412
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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