________________ आगम निबंधमाला ....................................... :: कर्म सबधी ज्ञेयतत्त्व :: :. शरीर सुंदर मिलना, अंगोपांग योग्य मिलना, सशक्त मिलना अथवा कमजोर मिलना, बेडोल शरीर मिलना, कान आँख के * साधन कमजोर मिलना, यह सब नाम कर्म के उदय संयोग से : होता है। : . * मिले शरीर से कष्ट पाना या सुखी रहना, रोग भुगतना, अंगोपांग टूटना अथवा उम्र भर कोई भी रोग कष्ट न आना, यह : सब वेदनीय कर्म के उदय संयोग से होता है / :. आँख में चश्मे का, कान में मशीन का, संयोग मिल जाना, : यह ज्ञानावरणीय दर्शनावरणीय कर्म क्षयोपशम के संयोग से : होता है। :. कैसे भी कर्म संयोग में दु:खी नहीं होना, सदा प्रसन्न रहना : समपरिणामों में रहना, यह चारित्रमोहनीय कर्म के रति-अरति : : प्रकृति के क्षयोपशम संयोग से होता है / :. चारित्र मोह का क्षयोपशम भी शुभ पुरुषार्थ, संवर पुरुषार्थ : से होता है / यही चारित्र मोह का आदर्श क्षयोपशम महात्माओं: : को सम परिणामी बनने में बहुत सहयोगी होता है / . समभावों में रमण करना ही साधना का प्रमुख लक्ष्य है। : - आगम साहित्य उपलब्धि : (1) 32 पुस्तकों का हिन्दी सारांश सेट झेरोक्ष --- 1,000/: (2) 10 पुस्तकों का हिन्दी प्रश्नोत्तर सेट------ 200/: (3) गुजराती सारांश सेट--- 400/: (4) गुजराती प्रश्नोत्तर सेट 600/: (5) गुजराती सेट अनुपलब्ध होने पर झेरोक्ष सेट-- 1,200/: (6) आगम परिचय हिन्दी में अनुपलध्ब होने पर झेरोक्ष-- 100/* (7) आगम निबंधमाला के प्रत्येक भाग का मूल्य------ 40/* नोट : आगम लेखमाला के भाग के लिये 60,000 रुपये में दाता आमंत्रित : है,फोरकलर में फोटो परिचय / दाता मिलने पर पुस्तक निशुल्क होगी। : .............. ....... ..... [237