________________ आगम निबंधमाला 3. आषाढ़ दो हो तो चौमासी दूसरे आषाढ़ में की जाती है / 4. कार्तिक दो हो तो चौमासी दूसरे कार्तिक मास में की जाती है। 5. फागुण दो हो तो चौमासी दूसरे फागुण में की जाती है / 6. ओली पर्व भी दूसरे चैत्र व आसोज में की जाती है / 7. लौकिक पर्व रक्षाबन्धन भी दूसरे श्रावण में होता है / अत: संवत्सरी के लिये अधिक मास के प्रश्न में उलझना बेकार का विवाद है। (3) समवायांग सूत्र की टीका में भी भादवा सुदी पंचमी का स्पष्ट कथन है- ये व्याख्या करने वाले विक्रम की सातवीं शताब्दि से लेकर १२वीं शताब्दि के श्वेतांबर मूर्तिपूजक विद्वान आचार्य हैं / जिन्होंने भादवा सुदी पंचमी का स्पष्ट उल्लेख किया है / निबंध-५८ चौथ की संवत्सरी आगम विरूद्ध निशीथ सूत्र उद्देशा 10 में आये दो सूत्रों से यह स्पष्ट होता ह कि पर्दूषण का दिवस एक निश्चित्त दिवस है / उन सूत्रों में कहा है कि अपर्दूषण के दिन पर्दूषण (संवत्सरी) करे तथा पर्दूषण के दिन पर्दूषण न करे तो दोनों स्थिति में गुरु चौमासी प्रायश्चित्त आता है। कालकाचार्य ने भी राजा को संवत्सरी दिवस के निकट आने पर सूचना की थी कि भादवा सुदी पंचमी का पर्युषणा दिवस निकट आ गया है। फिर राजा के लिहाज से उन्होंने चौथ की संवत्सरी करी तो भी उन्होंने परिस्थिति का अपवाद सेवन किया था यह स्पष्ट है / .इस कथानक के वर्णन में भी ऐसा सिद्धांत नहीं बनाया गया है कि इसका मैं कोई प्रायश्चित्त नहीं लेता हूँ और आगे भी अब सभी साधु सदा चौथ की संवत्सरी करना / किन्तु उन कालकाचार्य के सैकड़ो वर्षो बाद के चूर्णिकार, टीकाकार आदि भी भादवा की पंचमी का उल्लेख पर्दूषण दिन के लिए कर रहे हैं / एक रूपक :- किसी व्यक्ति ने बड़े भोजन के प्रसंग में मरी हुई बिल्ली को देखकर "लोग भोजन किये बिना ही न चले जाये" इस भाव से उस मत बिल्ली पर कोई बर्तन ढ़क दिया / उसे देखने वाला पुत्र 213 /