________________ शवासन शवासन विधि पीठ के बल लेट जाइये / भुजाएँ शरीर के बगल में रहें / हथेलियों ऊपर की तरफ खुली रहें। पैरों को आराम की स्थिति में थोड़ा दूर-दूर कर लें। आँखें बन्द रहें। पूरे शरीर को ढीला छोड़ दीजिए। शरीर का कोई भी भाग हिलाइये नहीं / श्वास को सहज होने दीजिये। मस्तिष्क को श्वास-प्रश्वास के प्रति जागरूक होने दीजिये। .. श्वास-प्रश्वास की गिनती कीजिये - 1 अन्दर; 1 बाहर; 2 अन्दर; 2 बाहर / इसी तरह गिनते जाइये। कुछ मिनटों तक गिनते रहिये / यदि मन यहाँ-वहाँ भटके तो उसे वापस गिनती में लगाइये। यदि अभ्यासी कुछ मिनटों तक अपनी श्वास के प्रति जागरूक रह सके तो निश्चित ही उसका तन-मन शिथिल हो जायेगा। श्वास सहज, स्वाभाविक एवं लयपूर्ण / समय ___आप जितने अधिक समय तक कर सकें, कीजिये / एकाग्रता श्वास एवं गिनती पर एकाग्रता आवश्यक है / यदि योगनिद्रां शवासन में की जा रही है तो शरीर के विभिन्न अंगों के प्रति जागरूक रहिये। .. लाभ समस्त शारीरिक एवं मानसिक प्रणालियों को शिथिल करके विश्राम देता है। सोने से पूर्व, आसनों के पहले या मध्यम व गतिशील अभ्यासों के बाद इसका अभ्यास आदर्श माना जाता है /