________________ वाणी यंत्र : मधुर वाणी के लिए सिंहासन व भ्रामरी, उज्जायी, शीतकारी प्राणायाम कीजिये / 'गला' देखिये / बात : 'अस्थि सूजन' (arthritis) देखिये | इससे कुछ भिन्नता लिए हुए यह रोग है। वाणी-विकार : बचपन का दबाव एवं तनाव मूल कारण होता है / 'चिंता' के अभ्यास देखिये। विशेष अभ्यास नौकासन, संतुलन के सभी आसन, मयूरासन, भ्रामरी प्राणायाम यदि कारण जिह्वा या जबड़े का विकार हो तो सिंहासन व शीतली, शीतकारी प्राणायाम लाभप्रद हैं। व्यक्तित्व : 'डिसपोजीशन' देखिये / शीर्षस्थ ग्रन्धि विकार : 'उपवृक्क ग्रंथि' देखिये / शरीर गहरों में पतले द्रव का जमाव : 'वृक्क' देखिये / संक्रामक रोग : योगाभ्यास द्वारा शरीर में रोग के कीटाणुओं से लड़ने की शक्तिं आ जाती है। सिर दर्द : प्राथमिक कारण देर तक गलत शरीर विन्यास में बने रहना है। मानसिक तनाव, चिंता तथा सामान्य कड़ापन अन्य कारण हैं। पीठ- दर्द से निकट सम्बन्ध है / 'पीठदर्द' के अभ्यास देखिये / अभ्यास - नाड़ी शोधन प्राणायाम, भ्रामरी, नेति, 5 से 10 मिनट तक / शिथिलीकरण (किसी भी विधि से)। नेत्रों पर तनाव न डालिए / नेत्रों का अभ्यास 1 कीजिये। कुछ अन्य कारण अपचन, मासिक धर्म की अनियमितता, साइनोसाइटिस आदि हैं, अतः इनसे संबंधित अभ्यास देखिये / सुस्ती : 'थकावट' देखिये। स्त्रियों के प्रजनन अंग एवं ग्रंथियों : 'जननांग' देखिये / स्नायु : पवनमुक्तासन से विकास होता है। शरीर के सभी स्नायुओं को शक्ति ‘प्रदान करने के लिए सूर्य नमस्कार लाभप्रद है। आंतरिक स्नायुओं, हृदय व यकृत का विकास तथा उन्हें शक्ति प्रदान करने के 407