________________ 6. क्लोम ___सत्यतः यह अंतःस्रावी ग्रंथि नहीं है परन्तु इसके ऊपर आयलेट्स ऑफ . लैंगरहेंस ( islets of langerhans) या अनेक कोशाओं का जो बड़ा समूह है, उसके गुण अंतःस्रावी ग्रंथि के सदृश ही हैं। इनसे मधुवशि (insulin) . नामक रस का स्राव होता है। यह वह शक्तिशाली रस है जो रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को कम करता है / इस स्राव में कमी होने पर 'मधुमेह' का प्रकोप हो जाता है / इस स्थिति में रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बहुत हो जाती है। ग्लूकोज की अतिरिक्त मात्रा का निष्कासन. मूत्र द्वारा. होता है। वास्तविकतः इस बीमारी का संबंध केवल क्लोम से ही नहीं वरन् वृक्कों एवं' नाड़ी - संस्थान से भी होता है / वृक्क ग्रंथि, शीर्षस्थ ग्रंथि तथा चुल्लिका ग्रंथि का भी इससे संबंध है / रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को कम या अधिक बनाये रखना कठिन काम है / इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक है कि अंतःस्रावी ग्रंथि - संस्थान का कार्य सामान्य हो / क्लोम का प्रमुख कार्य पाचक रस की उत्पत्ति करना है। 7. यौन ग्रन्थि पुरुषों में इस ग्रंथि को वृष्ण या वीर्यपिंड कहते. हैं। स्त्रियों में ये ग्रंथियाँ बीजाण्ड कोष या रजःपिंड कहलाती हैं। पुरुष एवं स्त्री की अंतःस्रावी ग्रंथि प्रणाली में समानता होती है / अनिवार्यतः अंतर मात्र यौन रसों में है। वीर्यपिंड के स्राव द्वारा बालक पुरुष में परिवर्तित हो जाता है। रजःपिंड के विकास एवं स्राव द्वारा बालिका स्त्री बन जाती है। इस क्रिया में अवरोध आने से असाधारण विकास हो सकता है या यौन - वृद्धि में कमी आ सकती है। पुरुषों के वृष्ण से जो शक्तिशाली रस - स्राव होता है उसे टेस्टेरॉन (testerone) कहते हैं। रक्त प्रवाह द्वारा इसी रस का वितरण पूरे शरीर में होता है; परिणामतः बालक पुरुष बन जाता है / दाढ़ी बढ़ना, मोटी आवाज, शक्तिशाली स्नायु आदि पुरुषोचित गुण बालक में आ जाते हैं / स्त्रियों के रजःपिंड के दो प्रमुख कार्य हैं। प्रथम है- अंड की उत्पत्ति एवं द्वितीय है-दो अनिवार्य स्त्रियोचित यौन रसों की उत्पत्ति / इन दोनों रसों के नाम इस्ट्रोजेन (estrogen ) तथा प्रोजेस्टेरोन (progesterone ) हैं / ये दोनों रस भ्रूण के विकास (बच्चे के रूप में ) के लिये गर्भ का निर्माण करते हैं / भ्रूण के निर्माण के बाद इनके द्वारा एक नलिका की रचना होती है जो भ्रूण को 366