________________ योग मुद्रा योग मुद्रा विधि पद्मासन में बैठिये / समस्त शरीर को शिथिल कीजिये / नेत्रों को बंद कर रेचक कीजिये। श्वास रोकिये और मूलाधार चक्र पर ध्यान कीजिये। श्वास का अनुभव करते हुए धीरे-धीरे पूरक कीजिये। ... . चेतना को मूलाधार चक्र से आज्ञा चक्र पर लाइये। रेचक क्रिया प्रारम्भ करते हुए सामने झुकिये / साथ ही चेतना को आज्ञा चक्र से नीचे मूलाधार पर ले आइये / श्वास की गति एवं शरीर की गति में समानता होनी चाहिये। रेचक क्रिया के साथ ही सामने सिर का स्पर्श भूमि से हो / मूलाधार पर ध्यान करते हुए कुछ देर के लिए बहिर्कुम्भक लगाइये। पूरक करते हुए धड़ को सीधा कर चेतना को आज्ञा चक्र पर लाइये / धड की लम्बरूप अवस्था में श्वास को रोकते हुए आज्ञा चक्र पर ध्यान कीजिये। रेचक करते हुए धड़ को धीरे - धीरे नीचे झुकाइये / टिप्पणी योगमुद्रा आसन की भाँति ही अभ्यास की विधि है; केवल एकाग्रता की क्रिया में भिन्नता है। . लाभ ध्यान की तैयारी के लिए अति उत्तम अभ्यास है। आध्यात्मिक शक्ति के प्रति जागरूकता एवं नियंत्रण प्रदान करता है। मन में स्थिरता एवं शान्ति लाता है / क्रोध या अधिक तनाव के समय अभ्यास करना चाहिए / योगमुद्रा नामक आसन (आसनों का अध्याय देखिये ) के सभी लाभ प्रदान करता है। 312 .