________________ तड़ागी मुद्रा तागी मुद्रा तड़ागी मुद्रा विधि पश्चिमोत्तानासन में बैठ जाइये, परन्तु पैर कुछ दूर-दूर रहेंगे। ... धड़ सामने झुकाकर हाथों से पैरों के अंगूठे पकड़िये / दीर्घ पूरक कीजिये | इस काल में उदर के स्नायुओं का विस्तार बाहर की ओर अधिक से अधिक कीजिये। क्षमतानुसार अतर्कुम्भक लगाइये। सम्पूर्ण शरीर को शिथिल कर रेचक कीजिये / अंगूठों को पकड़ी हुई अवस्था में श्वास - क्रिया सामान्य रखिये। दीर्घ पूरक के साथ उपरोक्त वर्णित क्रिया की पुनरावृत्ति कीजिये / आवृत्ति इसका अभ्यास 10 बार कीजिये | एकाग्रता मणिपुर चक्र पर। लाभ जठर एवं सभी उदरस्थ अंगों को व्यवस्थित कर पाचन - क्रिया में सुधार करता है / अतः इस प्रदेश के रोगों का निवारण होता है / अंतरंग प्रदेश में स्थित अनेक नाड़ियों को उत्प्रेरित कर उनके कार्यों को नियमित करता है / परिणामतः सम्पूर्ण शरीर की कार्य-क्षमता बढ़ जाती 306 .