________________ नासिकाग्र दृष्टि नासिकाग्र दृष्टि नासिकाग्र दृष्टि विधि ध्यान के आसन में बैठ जाइये / मेरुदण्ड सीधा रहे व मुँह सामने हो / नासिका के अंतिम सिरे (अग्र भाग) पर दृष्टि एकाग्र कीजिये। लाभ कुछ देर के लिए अंतरंग या बहिरंग कुम्भक कीजिये / इस स्थिति में | कुम्भकों के मध्य पूरक-रेचक करते समय दृष्टि नासिकाग्र पर ही रहेगी। दीर्घ अवधि के अभ्यास में श्वास - क्रिया सामान्य रहेगी। सावधानी नेत्रों पर तनाव न पड़ने पाये। कुछ हफ्तों या महीनों के अभ्यास के उपरांत समय में वृद्धि कीजिये / श्वास शांभवी मुद्रा की भाँति इससे भी एकाग्रता में वृद्धि होती है। यह मूलाधार चक्र को जाग्रत करती है। अभ्यासी को अंतर्मुखी तथा आध्यात्मिक स्तर पर पहुँचाती है। 302