________________ अंतिम अवस्था एकाग्रता आध्यात्मिक : सहस्रार चक्र पर। - शारीरिक एवं मानसिक : मस्तिष्क, श्वास एवं सन्तुलन पर | नये अभ्यासी शीर्षासन का अभ्यास आसनों के कार्यक्रम के अन्त में करें। तत्पश्चात् 'ताड़ासन' का अभ्यास कर शवासन करना चाहिए। पुराने अभ्यासी इच्छानुसार प्रारम्भ या अन्त में कर सकते हैं। : प्रस्तावना में वर्णित निर्देश एवं नियमावली का पालन करना चाहिए | सीमाएं उच्च रक्तचाप, चक्कर आने, दिल की बीमारी, बदहजमी, मोतियाबिन्द या समीप दृष्टि - दोष में न करें। लाभ . . . सभी शारीरिक संस्थानों को शक्ति प्रदान करता है / मस्तिष्क एवं पीयूष ग्रन्थि में रक्तं - संचार बढ़ाता है। पैरों एवं उदर प्रदेश में एकत्रित रक्त का विपरीत प्रवाह कोषों के नव-निर्माण में सहायता करता है। सभी प्रकार की ग्रंथियों, विशेषकर प्रजनन - संस्थान से सम्बन्धित ग्रन्थियों का असन्तुलन दूर करता है। अनेक मनोवैज्ञानिक विकारों, दमा, सिर दर्द, शक्ति की कमी, जुकाम आदि को दूर करता है। 193