________________ मेरुदण्ड मोड़कर किये जाने वाले आसन इस वर्ग के अन्तर्गत आने वाले आसन सामने या पीछे झुककर किये जाने वाले आसनों के पूरक हैं / आसनों के प्रत्येक कार्यक्रम में इस वर्ग के कम से कम एक आसन को अवश्य ही सम्मिलित किया जाना चाहिए। पीठ के तनावों को बड़े ही प्रभावशाली ढंग से ये आसन दूर करते हैं / इन आसनों के अभ्यास में मेरुदण्ड एवं कमर को मोड़ने से मेरुदण्ड लचीला बनता है तथा सम्बन्धित मांसपेशियाँ और नाड़ियाँ क्रमशः शिथिल और अपेक्षाकृत क्रियाशील बनती हैं / अभ्यास काल में शरीर एक ओर तथा दूसरी ओर मुड़ता है तथा उदरस्थ अंगों में आकुंचन एवं संकुचन होता है / परिणामस्वरूप इन अंगों पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। प्रारम्भिक अभ्यासी इस बात का ध्यान रखें कि शरीर को रतना ही मोड़ें जितना वे आसानी से मोड़ सकें / शरीर के लचीलेपन के परिमाण में ही उसे मोड़ें। कुछ ही हफ़्तों के नियमित अभ्यास से मांसपेशियों में अधिक लचीलापन आता जायेगा तो शरीर शनैः शनैः अधिक मुड़ने लगेगा। इसके लिए धैर्यपूर्वक नियमित अभ्यास की आवश्यकता है। किसी प्रकार की शारीरिक क्षति न होने पाये / इस प्रकार स्वास्थ्य एवं शारीरिक शक्ति की प्राप्ति कुछ ही प्रयास से हो जाती है। 181