________________ विधि शशाकासन 2 शशांकासन 2 (वज्रासन में योग मुद्रा) वज्रासन में बैठ जाइये। कमर के पीछे बाएँ हाथ से दायीं कलाई पकड़ लीजिये। आँखें बन्द कर लीजिये। श्वास लीजिये और फिर श्वास छोड़ते हुये कमर से सामने की ओर तब तक झुकते जाइये जब तक कि मस्तक फर्श से स्पर्श न करने लगे। सहज श्वास-प्रश्वास के साथ इस स्थिति में लम्बे समय तक रुकिये / श्वास लेते हुये प्रारम्भिक स्थिति में लौट आइये। शशांकासन 3 विधि वज्रासन में बैठ कर मुट्ठियों को अमाशय के निचले भाग पर रखिये / श्वास लीजिये और फिर श्वास छोड़ते हुये सामने की ओर झुकिये / जितनी देर हो सके, श्वास बाहर रोकिये / ' श्वास लेते हुये प्रारम्भिक स्थिति में वापस आ जाइये / एकाग्रता मूलाधार या मणिपुर चक्र अथवा श्वास-प्रश्वास क्रिया पर / लाभ यह कूल्हों और गुदा- स्थान के मध्य स्थित मांसपेशियों को सामान्य रखता है। साइटिका के स्नायुओं को शिथिल करता है और एड्रिनल ग्रन्थि के कार्य को नियमित करता है। यह कब्ज से छुटकारा दिलाने में सहायक है। सामान्य रूप से काम-विकारों को दूर करता है। जिन महिलाओं के बस्ति-प्रदेश अविकसित हों, उनके लिए लाभप्रद है। आध्यात्मिक रूप से मूलाधार चक्र के जागरण में सहायक है। 86 .