________________ 62 ] सप्ततिकामाष्यम् (गतिः समाप्ता) अट्ठच्छाहिगवीसा सोलस वीसं च बार छा दोसु / दो चउसु तीसु 'एक्कं मिच्छाइसु आउगे भंगा // 13 // गुणठाणेसु आउस्स भंगा इति // आऊ अडवीसविहं भणियं पभणामि 2 संपर्य गोयं / बंधोदयसंतेहिं णीयं तिरियाण मिच्छाण // 14 // ते वि हु तेऊ वाऊ तत्तो वा आगया पुढविमाई / जाव न उच्चागोयं बंधहि तावेस भंगो उ // 15 // दो संतं नीयवंधं नीउच्चं उदइ सासणो जाव / उच्चं बंधं नीयं च वेयए जाव देसोत्ति // 16 // दो 'संतमुच्चवंधं उच्चं उदयम्मि जाव सुहुमोत्ति / दो संतमुच्चमुदयं उवसंताओ अजोगंतं // 17 // उदसंतं उच्चं चिय अजोगिचरिमम्मि सत्तमो भंगो / भणियं गोयं संपइ भणामि मोहं समासेणं // 18 // बावीस “एगवीसा सत्तरसं तेरसेव नव पंच / / चउतिगदुर्ग च एगं बंधट्ठाणाणि दस मोहे // 16 // मिच्छं कसायसोलस भयं दुगंछा तिवेय अन्नयरं / ' हासरई इयरे का छ भंग मिच्छस्स बावीसा // 20 // मिच्छनपुसगरहिया इगवीसा सासणस्स चउभंगा / . अणइत्थिरहिय सतरस दो भंगा मीसअजयाण // 21 // दुतियकसायविहूणा तेरस देसम्मि नव य विरयम्मि / दो दो भंगा नवरं अपमत्ताईण एगेगो // 22 // जं ते हासरइदुगं बंधहि नन्नं तु जाव अप्पुब्यो / हासरइभयदुगुछारहिया पंचेव ते टुति // 23 // तो पुकोहाईणं कमेण वोच्छेइ सेसठाणाई / / अनियट्टि पंच बंधइ न सेस उदयं च एत्तो य // 24 // एको 'व दो' व चउरो''एत्तो एक्काहिया दसुक्कोसा / ओहेण मोहणिज्जे उदयट्ठाणाणि नव हुँति // 25 // 1 "इक्क"इत्यपि / 2 "संपई" इत्यपि / 3 "संत उ" इत्यपि / 4 "इक्कवीसा सत्तरसा" इत्यपि / 5 "मन्नयरं" इत्यपि / 6 “बंधहि" इत्यपि / 7 "जाइ" इत्यपि / 8-11 "इत्तो" इत्यपि / 9-10 "य" इत्यपि / 11 "इत्तो इक्काहिया" इत्यपि /