________________ सर्व०२ (प्राचीनचतुर्थकर्मग्रन्थे गाथा-६४ श्रीरामदेवगणिकृतवृतौ पृष्ट-२३-०४-२५) [ 11 संभ- असंभज्ञानम् / संयमः | दर्शनम् | लेश्याः भव्यः सम्यक्त्वम् संज्ञी | | आहारी विता: विताः ज्ञान०३,प्रज्ञा०३, असंयम०१ केवल० प्रशुभा.३ सर्व०२ सर्वाणि 6 संजी विना 3 | 35 | 27 " , 6 देशसं०२ " सर्वाः 6, 20 सर्व०२ सर्वाणि 8 | सर्वे 7 | सर्वाणि 4 ज्ञान-३,प्रज्ञा०३/ असंयम.१ 6 संज्ञी केवल० 2 द " विना३ सास्वा० प्रज्ञानद्विक०२. अचक्षु०१ प्रथमा:४ 1 ,2 28 मिथ्या०२ अस सर्वाणि - चक्षुरचक्षु सर्वाणि४ | सर्वाः 6, 2 सर्वे सर्वाणि 6 | सर्व०२ प्रज्ञानद्वय०२ असंयम०१ प्रचक्षु.१ प्रथमा:४ , सास्वा० मिथ्या०२ अस 1 224 / / "1 अशुभा: 3, 2, मिथ्या०१. FERREETEEEEEEEEEE सर्वाणि 8 सर्वे सर्वाणि४ सर्वाः६ सर्वाणि 6 | सर्व० 2 " 8 | संज्ञी 1 पाहा०१/ 51 6 " 2 | 6 सर्व.२ ,1 55 , 6 , 2 सव० 2 ज्ञान०४,प्रज्ञा.३. सूक्ष्म.यथा. विना केवल०विना |,6, 2 ,6 संज्ञी१, 245 परि० सू० यथा०४ सूक्ष्म० यथा. | विना 5 6 , 2 6 सर्व०२ , 2 55 اس اس اس ,2 56 3 " 6 भव्य.? 2 सम्यक्त्वत्रिक. | मिश्र.४ / संजीर सम्यक्त्वत्रिक. ,244 15 x 4 संयमपञ्चकम् 5/" "3 " 6 माहारी। केवल० | यथाख्यात०१४ केवल०१ शक्ला०१, 1 | क्षायिक०१। 1 सर्व०२१ मज्ञानत्रिकम् 3/ असंयम०१ चक्षुरचा सास्वा० क्षु०२ सर्वा:६सर्व०२ | सर्व०२ 2 मिथ्या०२ 45 ___ .3 , 2 , 6, 2 , 2 संज्ञी० 1 , 2 35 / 27