________________ 14 ] सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरणे परघायं वेयणियदुर्ग गोयदुगं आउचउक्कं हासरइदुर्ग अरइसोगं च वेयतिगं / एवं... तेवत्तरि अधुवबंधाओ // 26 // . बंधाधिकारे गईसु बंधसंखामाह बंधति न इगिविगला वेउब्बियछक्कदेवनरयाउं / तिरिया तित्थाहारं गईतसा णरतिगुच च // 25 // 27 // 1 मणुयगईए बंधे वीसोत्तरसयंः सव्वेसि गुणाणं भयणा त्ति काउं / तिरियगईए पंधे सत्तरहोत्तरसयं; तित्थयरस्स गइपच्चएणं, आहारदुगस्स संजमाभावात् , तित्थयरनाम आहारगदुर्ग न बंधति / एगिदियविगलिंदियजाइ बंधे नवुत्तरसयं; देवदुगं निरयदुगं वेउन्वियदुर्ग, एवं वेउव्विछक्कं देवाउयं निरयाउयं न बंधति / गईतसा तेऊवाऊ पंधे पंचोत्तरसयं मणयतिर्ग उच्चागोयं न बंधति / / 25||27|| नरयसुरसुहमविगलत्तिगाणि अाहारदुगविउव्विदुगं / बंधहि न सुरा सायावथावरेगिदि नेरइया // 26 // 28 // देवगईए बंधे चउरुत्तरसया देवतिगं निरयतिगं सुहुमविगलतिगं आहारदुर्ग वेउवब्बियदुर्ग न बंधति / निरयगईए बंधे एक्कोत्तरसयं; आयवनामं थावरनाम एगिदियजाई देवसोलसगं न बंधति / / 26 / / 28 / / बंधाधिकारे अबंधकालो एगयालीसाए पगईणं भण्णइ तिरि३नरयतिगुजोयाण सचउपल्लं तिसट्टमयरसयं / . इग 1 विगलजाइ 3 यायव 1 थावरचउगेसु पणसीयं // 27 // 26 // तिरियतिगं निरयतिगं उज्जोयं च एवं, अबंधकालो सागरोवमतिसट्ठसयं पल्लचउक्कं च / तहा इगिविगलजाइचउक्कं आयवं थावरचउक्कं एवं नव, अबंधकालो सागरोवमपणसीयसयं पल्लचउक्कं च // 27 // 26 // बेत्तीसं सासाणंतबन्धसेसपणवीसपयडीणं / नरभवसहियं परमो पणिंदिसु अबंधकालो सिं // 28 // 30 // मिच्छसोलस-पणवीससासणाइबंधवोच्छेओ एए एक्कचत्तालीसं 41 / / सोलस पुव्वा / भणियाउ सेसा पणवीसं 25 // 28 // 30|| ता य इमा 1 इत आरभ्यः प्रक्षेपगाथारहिताः प्रक्षेपगाथा सहिताश्च द्विविधा गाथाङ्का दर्शिता क्षेयाः। .