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________________ सूक्ष्मार्थविचारमारप्रकरणे खंधा देमपएसा केवलअणवो य ते य पुण // 61 // सोत्ति कालो वत्तणाइलिंगो परावत्तणाइलक्खणो / आइसद्दाओ अईयाणागयाइ लब्भइ / रूविणो अजीवा चत्तारि / ते य इमे-खंधो दुपएसाइ अणंतपएसिओ जाव, देसपएसा पूर्ववत् केवलं खंघपरिणामरहिया अणवो परमाणवो चउत्थो / पुब्वेहिं सह सव्वे चउदस // 61 // तहा चउविहा वि रूविणो अजीवा किं गुणा ?, इइ जाणत्थं गाहा दंसेइवण्णाइगुणा बंधाइकारणं इय अजीवचउदसगं / सव्वे वि हु परिणामे भावे खंधा उदइए वि // 2 // "वन्नाइगुण" ति वन्नगंघरसफासपरिणया बंधाइकारणं कहं ?, भन्नइ, कम्मजोग्गत्ताए परिणयाखंधा जीवा बंधंति ? आइसदाओ उदए उदीरणाए सत्ताए य ठविति / एवं बंधाइकारणं / एए चउद्दस वि अजीवट्ठाणा कम्मि भावे वटंति?, भण्णइ, सव्वे वि हु पारिणामिए भावे, खंधा उदइए वि भावे वटंति / कहं खंघा एव न सेसा ? भन्नइ जओ खंघसंबंधिणो अद्धस्स तिभागस्त वा चउत्थभागस्स वा देसविवक्खा, पएसा निविभागा भागा, तरसेव न जुया देसपएसविववखा / कोहोदए जीवस्स कम्मखंधा एव पडिपुन्ना उदए आगच्छंति, न देसपएसा / परमाणवो पुण न कम्मत्ताए परिणमंति / एवं खंधा उदइए भावे, न सेसा / तहा अवि.सद्दाओं खयखओवसमउवसमेसु वि कम्मखंधा वटंटित कम्मरूवपरिणया / एवं पगइबंधो। पसंगागयं च भणियं // 62 / / पोग्गला कम्मबंधकारणं भणिया, अओ तेसिं मूलपगडित्तेण उत्तरपगतित्तेण बद्धाणं ठिई जहण्णुकोसं भणिउकामो पढमं ताव मूलपगडीणं उक्कोसठिई भण्णइ मोहे कोडाकीडीउ सत्तरिं वीम नामगोयाणं / तीमियराण चउण्हं तेत्तीसयराइँ आउस्स // 6 // मोहणीयस्स सत्तरिकोडाकोडी उक्कोसो ठीइ बंधो, नामस्स गोयस्स य वीसं कोडाकोडी उक्कोसो ठिइबंधो. तीसं पुण इयराणं नाणावरणीयवेयणीयअंतरायाणं उक्कोसो ठिइबंधो, "तेत्तीसयराइ"त्ति, त्रयस्त्रिंशत्सागरोपमानि “आउस्स"त्ति आउकम्मस्स उक्कोसो ठिइबंधो // 63 / / इयाणि मूलपगडीणं जहन्ना ठिई दंसइ-- मोत्त मकसाय हस्सा ठिइ वेयणियस्स बारस मुहत्ता। अट्ठ नामगोयाण सेसयाणं मुहत्तंतो // 6 // अकसाइणो-उवसंतमोह-खीणमोह सजोगिकेवलिणो मुत्त' परिवज्जिय एएसि वेयणियठिई, . सेसाणं बंधगाणं वेयणीयस्स ठिई हस्सा जहन्ना बारस मुहुत्ता / जओ तेसिं सामइओ बंधो / एसा य पुण जहन्नट्ठीई बंधगस्स सुहुमसंपरायस्स अंते लब्भइ / नामस्स गोयरस य अट्ठमुहुत्त / /
SR No.004404
Book TitleKarmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeershekharvijay
PublisherBharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
Publication Year1974
Total Pages716
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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