________________ उत्तरप्रकृतीनां बन्धा- बन्धकालाभिधानम् . [11 / ___एवं बत्तीसं सागरोवमसयं / सम्मत्तस्स मिस्संतरियस्स उक्कोसो टीकालो, भोगभूमिअबंधकालो पल्लतियं भवपच्चएण, तहा पल्लोवमं 1 सोहमे, गुणपच्चएणं, नवमे गेविज्जे सागरएगत्तीसं भवपञ्चएणं, अवंधिय पुव्वुत्तं बत्तीसं सागरोवमसयं चउपल्लाहियं सव्वं तिसर्ल्ड सागरोवमसयं / 'अओ वुत्तं-"गेविज्जाईसु तेसुतेस?" ति "तमपुढविजुएसु" त्ति, ___तहा-कोइ जीवो छट्ठपुढवीए बावीसं सागरोवमाई परिवालिय, उव्वट्टिता, देसविरहें 'पडिवज्जिय, तओ सोहम्मे, तओ पुच्वकम्मेण नवमंगेविज्जे सागरो एगत्तीसं अबंधित्ता, तओ 'अणुत्तराइसु सागरोवमसयं बत्तीसं अबंधित्ता, एवं पंचासीय सचउपल्लं / अयं अबंधकालो 'एगचत्तालीसाए पयडीणं / उक्तं च-- भवपच्चइओ बंधो न भोगभूमिसु तिपलिय सत्तण्हं / अंते सम्मत्तेणं पलियसुरो चविय मणुएसु // 1 // सव्वविरई पंधज्जिय पालिय मणुयाउ नवमगेविज्जे / इगतीससागराऊ मिच्छत्तेणं बसे तत्थ // 2 // चरिमे अंतमुहुत्ते सम्मत्तं लहिय चविय मणुएसु / सम्मत्तं च अछडिय अच्चुयसुरमणुयवारतिगं // 3 // छावट्टी अणुपालिय अंतमुहत्तं च मीसमावेण / पुणरवि सम्मत्तेणं विजयदुवारं च छावष्ट्रिं // 4 // चउपल्ला इगतीसा इग छावट्ठी पुणो वि छ वट्ठी। तेवढे उदहिसयं अहियं पुण चउहिँ पल्लेहिं // 5 // छट्ठीए नेरइओ बावीसं सागराइँ पालेइ / भवपच्चओ न बंधो थावरचउजाइमायावे // 6 // सत्तो उव्वट्टित्ता सम्मत्तं देसविर इ सोहम्मे / चउपलिय मणुय विरई पालिय देवत्तइगतीसा // 7 // तत्तो पुवकमेणं दो छावट्ठी उ पालए सम्मे / अइरेगा मणुयभवा पंचासीयं सचउपल्लं // 8 // अहवा गेवेन्जाणुत्तरेसु छावट्ठि पालए सम्मे / पच्छा य अच्चुयसुरो छावट्ठी पूरए एवं // 6 // सत्तसु नवपयडीसुगुणभवाच्चय अबंधु उक्कोसो / अहियं न होइ आणालिहियं पुण कम्मपयडीए // 10 // 'पणुवीसाएँ अबंधो उक्कोसो होइ सम्मगुणजुत्तो। बे छाचट्ठी ते पुण अहिया सव्वत्थ मणुयभवा // 11 // एसिं अबंधकालो सुहपयडीणं च बंधकालो य / पणसीयं बत्तीसं उदहिसयं होइ केसिं च // 12 // एसो अबंधकालो य बंधकालो य होइ सण्णिस्स / उक्कोसो विण्णेओ न य सेसजियाण एस विही // 13 // इयाणिं निरंतर बंधकालो अधुवबंधिणीणं भण्णइ-- समयादसंखकालं जा परमो नीयतिरयदुगबंधो / सुरदुगविउब्बियदुगे तिपल्लमाउसु मुहुत्त तो 30 // . नीयागोयस्स तिरियदुगस्स जहन्नो समय, उक्कोसओ असंखकालमिति निरंतरं बंधकालो हवइ / तेउकायवाउकाइयाणं एसो; जओ तेउवाउकाइयाणं कायट्टिई असंखकालपमाणा, तीए एयतिगस्स न परावत्तो होइ / सुरदुगस्स देवगइ-देवाणुपुव्वीसरुवस्स वेउब्वियदुगस्स सरीरअंगोवंगलक्खणस्स जहण्णओ समओ, उक्कोसो पलिओवमतिगं; जओ देवकुरुउत्तरकुरूसु देवगइपाऊंग्गं बंधं बज्झइ, नो अन्नं / आउचउक्के उक्कोसओ वि अंतोमुहुत्तं // 30 // . तसचउपणिंदिपरघाउस्सासेसु पणसीयमुदहिसयं / / बत्तीसं सुभगतिगुच्चपुरिससुभखगइचउरंसे // 31 //