________________ सूत्राणामकाराद्यनुक्रमणिका ] मध्यमवृत्त्यवचूरिसंबलितम्। चायः कीः / 4 / 1 / 86 // जपजभदहदश-शः / 4 / 1 / 52 // चार्थे द्वन्द्वः सहोक्तौ / / 1 / 117 // | जपादीनां पोवः / 2 / 3 / 105 // चाहहवैवयोगे।२।१। 29 // | जभः स्वरे / 4 / 4 / 100 // चिक्लिदचक्नसम् / 4 / 1 / 14|| जम्ब्वा वा / 6 / 2 / 60 // चितिदेहा-देः / 5 / 3 / 79 // जयिनि च / 6 / 3 / 122 // चितीवार्थो / 7 / 4 / 93 // जरत्यादिभिः / 3 / 1155|| चितेः कचि / 3 / 2 / 83 // जरसो वा / / 4 / 60 // चित्ते वा / 4 / 2 / 41 // जराया ज-च 7 / 3 / 93 // चित्रारेवती-याम् / 6 / 3 / 108 // जराया ज-वा / / 13 / / चित्रे / 5 / 4 / 19 // जस इः / 1 / 4 / 9 // चिरपरुत्प-स्त्नः / 6 / 3 / 85 / / जस्येदोत् / 1 / 4 / 22 / / चिस्फुरोर्नवा / 4 / 2 / 12 // जस्विशे-न्ये।२।१।२६ // चीवरात्परि-जने / 3 / 4 / 41 // जागुः / 5 / 2 // 48 // चुरादिभ्यो णिच् / 3 / 4 / 17 // जागुः किति / 4 / 3 / 6 // चूडादिभ्योऽण् / 6 / 4 / 119 // जागुरश्च / 5 / 3 / 104 // चूर्णमुद्रा-गौ।६।४७॥ जागुर्बिणवि / 4 / 3 / 52 // चेः किर्वा / 4 / 1 / 36 / / जाग्रुषसमिन्धेर्नवा / 3 / 4 / 49 // चेलार्थात् क्नोपेः / 5 / 4 / 58 // जाज्ञाजनोऽत्यादौ / 4 / 2 / 104 // चैत्रीकार्तिकी-द्वा / 6 / 2 / 10 / / जातमहद्-यात् / 73 / 95 // चौरादेः / 7 / 1 / 73 // जातिकालसुखा-वा / 3 / 12152 // च्वौ क्वचित् / 3 / 2 / 60 // जातिश्च णितद्धि-रे / 3 / 2 / 5 / / कव्यर्थे काप्या-गः / 5 / 3 / 140 / / जातीयैकार्थेऽच्वेः / 3 / 270|| व्यर्थे भृशादेः स्तोः / 3 / 4 / 29 // जातुयद्यदायदौ स०।५।४।१७॥ छगलिनोलेयिन् / 6 / 3 / 185 / / जाते / 6 / 3 / 98 // छदिर्बलेरे यण् / 7 / 1 / 47 // जातेः सम्पदा च 7 / 2 / 131 // छदेरिस्मन्त्रट कौ / 4 / 2 / 33 / / जातेरयान्त-त् / / 4 / 54 // छन्दसो यः। 6 / 3 / 147 // जातेरीयः सामान्य०७३।१३९|| छन्दस्यः / 6 / 3 / 197 / / जातौ / 7 / 4 / 58 // छन्दोगौ-घे।६।३। 166 // जातौ राज्ञः / 6 / 1 / 92 / / छन्दोऽधीते वा 72173 / / जात्याख्यायां-वत् / / 2 / 12 / / छन्दोनाम्नि / 5 / 3 / 70|| जायापतेश्चि-ति / 5 / 1184 / / छाशोर्वा / 4 / 4 / 12 / / जायाया जानिः / 73 / 164 / / छेदादेर्नित्यम् / 6 / 4 / 182 / / जासनाट-याम् / / 2 / 14|| जिघ्रतेरिः / 4 / 2 / 38 // जङ्गल-वा / 7 / 4 / 24 // जिविपून्यो-ल्के / 5 / 1143 // जण्टपण्टात् / 6 / 1 / 82 / / जिह्वामूला-यः / 6 / 3 / 127 // जनशो न्युपान्त्ये०।४।३।२३॥ / जीक्षि -थः / 5 / 2 / 72 / / जीर्णगोमूत्रा-ले 7 / 2 / 77 // जीवन्तपर्वताद्वा।६।१ / 58 // जीविकोपनि-म्ये 317| जीवितस्य सन् / 6 / 4 / 170 // जभ्रमवम-वा।४।१। 26 // जनश्चः क्त्वः ।४।४।४शा "जषोऽतः / 5 / 1 / 173 / / जेर्गिः सन्परोक्षयोः / 4 / 1 // 35 // ज्ञः / 3 / 3 / 82 // ज्ञप्यापो ज्ञीपीप० / 4 / 1 / 16 / / ज्ञानेच्छार्चार्था-न / 3 / 1 / 86 / / ज्ञानेच्छाईर्थवी-तः / 5 / 2 / 92 // ज्ञीप्सास्थेये / 3 / 3 / 64 // ज्ञोऽनुपसर्गात् / 3 / 3 / 96 // ज्यश्च यपि।४।१।७६ // ज्यायान् / 7 / 4 / 36 / / ज्याव्यधः क्ङिति / 4 / 1 / 8 / / ज्याव्येव्यधिव्यचि०।४।१७१॥ ज्योतिरायु-स्य / 2 / 3 / 17 // ज्योतिषम् / 6 / 3 / 199 // ज्योत्स्नादिभ्योऽण् / / 2 / 34 // ज्वलह्वलमल-बा। 4 / 2 / 32 / / HIRDETI विख्णमोर्वा / 4 / 4 / 106 // बिच ते पद-च।३।४। 66 / / बिणवि घन् / 4 / 3 / 101 // बिदार्षादणियोः / / 1 / 140 // ठिणति / 4 / 3 / 50 // ब्णिति घात्।४।३।१००॥ ट: पुसि ना / 1 / 4 / 24 // टनण् / 5 / 1 / 67 // टस्तुल्यदिशि / 6 / 3 / 210 // टाटसोरिनस्यौ।१।४।५।। टाइयोसि यः / 2 / 1 / 7 // टादौ स्वरे वा।१।४।९२।। टौस्यनः / 2 / 1 / 37 / / WITH