SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 68
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 56 अढीलीपना नकशानी हकीगत. बीजो सोमनस कूट, त्रीजो मंगवलाती कूट, चोथो देवकुरु कूट, पांचमो विमल कूट, बहो कांचन कूट, सातमो वशिष्ट कूट, ए सर्वे कूट पांचशे योजन ऊंच पणे पहोल पणे जे तिहां विमल अने कांचन ए बे कूटने विषे सुवत्सा अने वत्समित्रा ए बे दिकुमा रिका देविनो निवास डे तथा शेष कूटने विषे कूटने नामे देवना निवास जाणवा. 4 तथा निषध पर्वतने उत्तर दिसे अने मेरुने दक्षण पश्चिम वचे नैऋतकूणे, पद्म विजय ने पूर्व दिसे विद्युत्प्रन नामे गजदंत पर्वत सर्व तपनीय राता सुवर्ण मय बे यावत् उपर दे वता वसे इत्यादि सर्व पूर्व परे कहे. एनां नव कूटनां नाम कहे बेः-प्रथम मेरु दिसिये सिकायतन, तेवार पनी अनुक्रमे निषध पर्वतनी सन्मुख बीजो विद्युत्प्रन,त्री जो देव कुरु, चोथो पक्ष्म, पांचमो कनक, हो सौवस्तिक, सातमो सीतोदा, श्राठमो शतजवल, नवमो हरि कूट. तेमां हरि कूट ते पूर्वोक्त हरिस्सह कूटनी पेरे हजार योज न पोहोलो, ऊंचोने, अने शेष श्राठ कूट पांचशे योजन ऊंचा जाणवा तथा कनक कूट अने सौवस्तिक एबे कूटने विषे वारिषेणा अने बलाहिका नामांतरे पुष्पमाला अने अनं दिता दिग्कुमारिका देवी वशेडे, शेष कूटने विषे कूटने नामे देवता जाणवा. तथा ए पर्वत वीजलीनी पेरे रक्तसुवर्णमयपंणा माटे चोफेर श्रवनासे बे, उद्योत करे , कांति करे जे तथा इहां विद्युत्प्रन नामे देवता एक पट्योपमायुये वशे 2 तेथी एनुं विद्युत्प्रन एवं शाश्वतुं नाम . ए चार गजदंत उपर प्रत्येके दिक्मारि देवीनां बेबे कूट कह्या ते अधलोकने विषे वसनारी दिकमारी जाणवी एनां रेवानां नवन गजदंत गिरिने नीचेजे. कुरुदेवनी जे सीतोदा तथा सीतानदी तेहy परवा नीकलवानुं स्थानक जे जीनी तिहांथी 26475 योजन बेपासे मेरुपर्वत साहामां ए चार गजदंत गिरी, ए निषध तथा नीलवंत पर्वतमाहेथी नीकट्याने, हाथीनां दांतने आकारे देखायडे, माटे एने गजदंत गिरी कहिए. अग्नि कूणे सोमनस नामे गजदंतगिरि , तिहांथी धुरमांमीने प्रदक्षणावर्त्त गणतां चार दिशीनेविषे अनुक्रमे चार गजदंत गिरीले. ___ हवे ए महाविदेहने विषे उत्तरकुरु नामे युगलीयानुं देत्र वखाणे बे. मेरु पर्वतने उत्तर दिसे अने नीलवंतनी दक्षण दिसे तथा गंधमादन पर्वतनी पूर्व दिसे अने माल्यवंतनी पश्चिम दिसे श्हां उत्तर कुरुनामे देत्र जे ते पूर्वपश्चिमे लांबो भने उत्त र दक्षणे पोहोलो अर्ड चंडमाने संस्थाने संस्थित डे, 19742 योजन उपर बे नाग एटलो पोहोल पणे डे, एनी जीवा पण ब उत्तर दिसे पूर्वपश्चिमे लांबी, बे दिसाये गज दंता पर्वतने फरसी , ते 53000 योजन लांब पणे , एनुं धनुपृष्ट 60417 योजन उपर बार जाग परिधि पणे बे. ते आवीरीतेः-३०२०ए योजन उपर कला एटर्चा
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy