SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अढीछीपना नकशानी हकीगत. 55 नंद कूट, तिहां सिहायतन कूटने विषे सिझनुं देहेरंबे तथा स्फाटिक कूट अने लोही ताद कूट ए बे कूटने विषे नोगंकरा ने लोगवती ए बे दिक्मारिका देवीनो निवास बे शेष चार कूटने विषे कूटने नामे देवता रहे . ए सर्वे कूट पांचशे योजन उंच पणे बे. ए पर्वतनो गंध ते कोष्ट सुगंधना पुमाने पीसतां, चूर्ण करतां, उकेरतां थकां, जूजू श्रा विखेरतां थकां, नोगवतां, गंधलेता थकां, जेम उत्तम उदार मनोहर गंध नीकले, तेथी पण इष्टतर अति उत्तम गंध ते गंधे करी मद , तथा इहां गंधमादन नामे देवता महाशकिवंत वसे बे, तेथी एनुं गंधमादन एवं शाश्वतुं नाम बे. 2 मेरु पर्वतने शानकूणे, नीलवंत पर्वतने दक्षण दिसे, उत्तरकुरुने पूर्व दिसे, कल नामा विजयने पश्चिम दिसे, माल्यवंत नामे गजदंत पर्वत वैडूर्य रत्नमय नीले वर्णे , ते गंधमादन गजदंता प्रमाणे लांबुं पोहोलुं , शेष अधिकार तेमज जाणवं. __ माल्यवंत गजदंतगिरिना नवकूटनांनाम कहेडे. एक मेरुदिसिये सिकायत्नकूट,तेवार रबी अनुक्रमे नीलवंत पर्वतने सन्मुख बीजो माल्यवंतकूट, त्रीजो उत्तर कुरुकूट, चोथो कन्छकूट, पांचमो सागरकूट, हो रजतकूट, सातमो सीताकूट, पाठमो पूरणजम कूट, नवमो हरिस्सह कूट, ए सर्वे कूट पांचशे योजन ऊंचपणे तिहां सागरकूट अने रजत कूट एबे कूटने विषे सुनोगा अने जोगमालिनी नामे देवी वसे शेष कूटने नामे तिहां वसनारा देवोना पण तेहीज नाम जाणवा. एमां हरिस्सह कूट उपर हरिस्सह राज धानीनो हरिस्सह नामे देव वशे , ए कूट हजार योजन पोहोळु अने हजार योजन उंचुं यमक पर्वतने प्रमाणे डे थने मान्यवंत गजदंत पांचशे योजन पोहोलु डे माटे बे पासे अढीशे अढीशे योजन पर्वतथी बाहेर अधर रडं , ए हरिस्सह देवनी रा जधानी अन्य जंबूद्वीपे चोरासी हजार योजननी लांब पणे पोहोल पणे ले. .. ए माल्यवंत गजदंताने विषे घणा सरिकानामे वनस्पतिना गुल्म, नवमालतीना गु दम, यावत् मगदंतिका वनस्पतिनां गुदम बे ते गुल्म सर्वदा पंचवर्णना फूले फूले ले तथा लूमिने विषे वायरे कंपित एवा अग्रशालाने विष फूलनां पूंज तेने उपचारे करी सही त करे तथा श्हां माल्यवंत देव एक पत्यायुये वशे , माटे एनुं माल्यवंत नाम बे. 3 निषध पर्वतने उत्तर दिसे, मेरु पर्वतने दक्षण पूर्वने वच्चे अग्निकूणे, मंगलावती वि जयने पश्चिम दिसे अने देवकुरुने पूर्व दिसे, सोमनस नामे गजदंत पर्वत स्वेतवर्णेने ते लांबोपोहोलो माल्यवंतनी पेरे जाणवु ए रूप्पमय ने शहां घणा देवता देवांगना कुचेष्टा रहित सौम्य पणे सुमन एटले शोकादि रहीत विचरे , तथा सोमनस नामे महर्डिक देव श्हां वशे ने तेथी ए- सोमनस नाम . एनां उपर सात कूट ले तेनां नाम कहे:एक मेरुनी दिसिथी सिकायतन कूट, तेवार पठी अनुक्रमें निषध पर्वतनी सन्मुख
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy