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________________ अढीहीपना नकशानी हकीगत. ए नने प्रपाते हेठी पडेले ए सीतोदा महानदी जिहां थकी पडे तिहां एक महोटी जीजी प्रणाली रूपबे ते चार योजन लांब पणे, पञ्चाश योजन पोहोल पणे अने एक योजन जामपणे महोटा मगर मत्सना मुखने संस्थाने संस्थित ने.सर्व वज्र रत्नमय देते जिहां नीची पमे तिहां महोटो सितोदा प्रपात कुंडले ते चारसे एंसी योजन लांब पणे पोहोल पणे अने 1510 योजन का एक जंणा परिधि पणे डे, यावत् तोरण पर्यंत वक्तव्यता जा णवी ते सीतोदा प्रपात कुंमने मध्य नागे सीतोदा नामे छीपजे, ते चोशठ योजन लां बो पोहोलो अने बशे बे योजन परिधि पणे बे, बे कोश पाणी थकी ऊंचो, सर्व वज्र रत्नमय , तेमज वेदिका, वनखंड नूमिनाग, नवनघर, शयनीय ए सर्व पूर्वपरे जाणवा. ते कुंमने उत्तर दिसिनेतोरणे ए सीतोदा महानदी नीकली थकी, देवकुरु क्षेत्र प्रत्ये श्रावती थकी, बेहु पर्वत प्रत्ये तथा 1 निषध 2 देवकुरु 3 सूरेंज 4 सुलस 5 विद्यु अज ए पांचाहने बे नागे वहेचती थकी ते प्रहमांहे वेहेती थकी, देव कुरु मांहेली चो रासी हजार नदीये पूराती थकी, जमशाल वन मांहे आवती थकी, मेरु पर्वत पासे बेयो जन अण पोहोती थकी, तिहांथी पश्चिमदिसि साहमी वली थकी,नीचे विद्युत्प्रन नामा गजदंता पर्वतने नेदीने मेरुपर्वतने पश्चिम दिसे,पश्चिम महाविदेह क्षेत्रने बे नागे वेहेंचती थकी, एकेकी चक्रवर्तिनी विजय थकी अहावीश अहावीश हजार नदीये पूराती पूराती थकी केमके ए नदीने दक्षण तटे आठ विजय तिहां एकेकी विजये गंगा अने सिंधु एबे बेनदी चौद चौद हजारने परिवारेले तेवारे अहावीश हजारनुं परिवारथयुं तथा उत्तरतटे पण एजरीते एकेकी विजये अहावीश अहावीश हजार नदीने परिवारे एरीते शोल वीज यनीवत्रीश नदी ते प्रत्येकने शौद हजारनो परिवार गणता 4JG000 नदी थश्तेनी साथे 68000 नदी देवकुरुनी मेलवतां 532000 नदी सहीत पूराती थकी, जयंतनामा पश्चि मदिसि संबंधी जंबूटीपनां छारने नीचे जगतीने नेदीने लवण समुहमांहे नलेले ए नदी प्रहमांधी नीकलतांमूलप्रवाहे पच्चाश योजन पोहोल पणे तथा एक योजन ऊंड पणे बे, पढी मात्राये मात्राये अनुक्रमे योजने योजने एकेक बाजुये चालीश चालीश धनुष एरीते बे पासे एंसी धनुषनी वृद्धि वधती वधती मुख मूले समुफ प्रवेशे पांचशे योजन पोहोल पणे अने दश योजन ऊंड पणे थश्वे. बे पासे पद्मवरवेदिका अने वनखमे करीसहीत बे. निषध पर्वत उपर नव कूटने तेनां नाम कहेजेः-एक सिकायतन कूट, बीजो निषध कूट, त्रीजो हरिवर्ष कूट, चोथो पूर्व विदेह कूट, पांचमो हरिसलिला कूट, बहो धृतिकूट, सातमो सीतोदा कूट. आठमो अपर विदेह कूट, नवमो रुचक कूट. जेरीते चूलहिमवंतना कूटनु उंचपणु,पोहोलपणु, परिधिपणु, राजधानी सहीत पूर्वे वर्णव्युं तेरीते शहां जाणवं. निषध पर्वतने विषे घणा कूट निषधने संस्थाने डे, निषधने अत्यंत सहन करे,पूढे स्कंधे
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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