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________________ G अढीछीपना नकशानी हकीगत. पणु अने जंमपणु तथा परिधि प्रमुख सर्व पूर्वे कहेला शब्दपाती वृत्तवैताढ्यनी पेरे शहां पण कहेवा परंतु एटलुं विशेष जे ए पर्वतनो अरुणनामे देवता अधिपति तथा शहां विकटापाती सरखा वर्णे करी कमल , तेथी एनुं विकटापाती एवं शाश्वतुं नाम. ए हरिवर्षदेत्रने विषे (हरिके०) सूर्य अने चंडमा कहीये तेथी केटलाएक मनुष्य उगता सूर्य जेवा राते वर्णे रातिकांतिने प्रकाश करे, तथा केटलां एक तिहांना मनु ष्य चंडमा तथा शंखना सरिखां धोले वर्णे , तेमाटे तथा इहां हरिवर्षनामे महर्षि क देवता एक पक्ष्योपमायुये वशेडे, तेथी एनुं हरिवर्ष एवं नाम शाश्वतुं बे. हवे निषध नामा वर्षधर पर्वत कहे. महाविदेह क्षेत्रने दहण दिसे अने हरिववर्षदेत्रने उत्तर दिसे निषध नामे पर्वत,ते चारसे योजन ऊंचपणे, शा योजन नीचो धरतीमां , तथा 16742 योजन उपर बे कला पहोलो , तेनी पूर्वपश्चिम दिसे बाहा 20165 योजन उपर अढी जागळे, तथा लांबपणे तेनी जीवा पण उत्तरदिसे ए४१५६ योजन उपर बे लागले. तथा तेनुं धनु पृष्ट दक्षण दिसे 154346 योजन उपर नव नाग परिधिपणे बे, सर्व तपनीय राता सु वर्णमय बे, बे पासे पद्मवरवेदिका अने वनखंडे करी सहित बे. तेना मध्यनागे एक तिगिडि नामे अह , ति गिडि एटले कमलनो परागाह ते ति गिछि अह. ए चार हजार योजन लांब पणे अने बे हजार योजन पोहोल पणे तथा दश योजन ऊंमो ने, एनुं रूपामय तट बे, चारदिसिये चार त्रिसोपान पगथालिया, एम जे रीते महापद्मपहनी वक्तव्यता पूर्वे कही तेज रीते श्हां पण कहेवी, इहां क मलनुं प्रमाण तेहिज जाणवु यावत् तिहां तिगिडि सरखा घणा कमल , तथा यहां धृतिनामे देवी एक पक्ष्योपमने आउखे वशे बे, तेथी एनुं तिगिनिजह एवं नाम बे. ते तिगिछिपहने दक्षण दिसिने तोरणे हरिसलिला महानदी नीकली थकी 21 योजन उपर एक जाग एटली दक्षण दिसि सामी पर्वत उपरे जश्ने कांश्क जाजेरा चारसे योजनने प्रपाते करी हेवी हरिसलीला कुंडमां पमे, ते कुंमनुं अने छोपर्नु तथा छीपना नवन प्रमुखनुं प्रमाण तेनी वक्तव्यता सर्व हरिकांता नदीनी पेरे जाणवी यावत् हरि वर्ष देत्रने बे नागे वेंचती उपन्न हजार नदीये सहीत थकी नीचे जगती नेदीने पूर्व दिसिनां लवण समुडमांहे नलेडे एनुं प्रवाह, मुख, मुले, पहोलपणुं, उमपएं, ए सर्व हरिकांता नदी प्रमाणेज जाणवु यावत् वेदिका अने वनखंड तेणे करी सहीत जे. ___ हवे ते ति गिनिहने उत्तरदिसिने तोरणे सीतोदा महानदी निकली थकी 41 यो जन उपर एक नाग एटयुं उत्तर साहमी पर्वत उपरे जश्ने कांश्क जाजेरा चारसे योज
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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