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________________ देवादिक संबंधि आयु प्रमुखना यंत्रो. 213 2 तीर्थंकर तथा वासुदेव, ए बेहु वैमानिक देवोमांथी श्रावी उपजे. 3 चक्रवर्तीना जे पांच मनुष्य रत्न , ते सातमी नरक, तेउकाय,वायुकाय, तिर्यंच अने मनु प्य तथा अनुत्तर विमान, एटला स्थानकथी श्राव्यान होय, शेषस्थानकथी आव्या होय. 4 तथा हाथी अने अश्व, ए बे तिर्यंचपंचेंजिय रत्न , अने सात एकें जिय रत्न डे एमनी उत्पत्ति यथासंजवपणे जाणवी. कया जीव नरकें जाय? कयो जीव कयी नरकें जाय? बाहय श्राश्रयी विशेष कहेजे. संझिपंचेंजिय पर्याता संख्या 1 असंही पंचेंजिय तिर्यंच 1 व्याल सर्प प्रमुख. ता वर्षायुवाला एवा मनुष्य ' पहेली नरक सुधी जाय. दाढाल सिंह वाघ प्रमुख. अने तिर्यंच मरी नरकें जाय गर्नजजुजपरिसर्प,गोह,नो३ गृध्र पक्षी प्रमुख. तेना आचरण कहे . लीयादि बीजीसुधीजाय.४ जलचर मत्स्य प्रमुख. 1 मिथ्यात्वी जीव.. ३गर्नजपंखीत्रीजीनरकेंजाय एटला जातिना जीव प्राय 2 महा आरंज करनार. 4 सिंह प्रमुख चौपद जीव घणुं करी नरकथी श्रावे अने 3 घणा परिग्रहमां आसक्त. चोथी नरक सुधी जाय. पाला पण मरीने नरकेंज जा 4 घणो लोजी होय 5 गर्जजजरःपरिसर्प पांचमी य, परंतु तेनो नियम नही. 5 शुन्नक्रिया रहित होय. नरक सुधी जाय. केम के कोश को जीव नरक 6 पापरुचि जीव होय. 6 स्त्रीरत्न बही नरकें जाय. थी श्राव्या पढ़ी जातिस्मर उ रोपरिणामी होय. गर्नजमनुष्य, गर्नजमत्स्य णोदिसामग्रीयें समकित पा G कृतघ्नपृष्ठ परिणाम वालो. उत्कृष्ट सातमी नरकें जाय. मीने शुजगतिमां पण जाय. संख्याता आयु वाला मनुष्य मरीने चारे गतिमां जाय, परंतु वज्रषजनाराच संघय एवाला को कोश् मनुष्य पांचमी सिद्धगतिमां पण जाय बे, ते कहे बे. 1 मनुष्यजाति सामान्यथी जघन्य एक बेर तापसादिलिंगे एक समये. अने उत्कृष्टां 17 एक समयमां सीजे. अ३ साधुलिंगे एकसमये. 10 ने विशेषथी वेद आश्रयी था प्रमाणे सीजे. हवे जघन्य मध्यम अने उत्कृष्ट अवगाह 2 स्त्रीलिंगे वीश सीजे. | ना श्राश्रयी मोद जवान कहे जे. 3 नपुंसलिंगे दस सीजे. 1 लघु बे हाथनी अवगाहनाये. 4 4 पुरुषलिंगे 100 सीजे. 2 मध्यम अवगाहनाये. 17 हवे ग्रहस्थादिक लिंग आश्रयी एक सम३ उत्कृष्ट पांचशे धनुष्यनी अवगाहनाये 5 यमा केटला सीजे ते ? कहे जे. 1 ऊर्ध्वलोक मेरुचूलिका नंदनवन प्रमु०४ 1 गृहस्थलिंगें एक समये. 42 अधोलोक ते अधोग्रामादिकथी. 15
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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