________________ रए देवादिक संबंधि आयु प्रमुखना यंत्रो.. ..... रत्नप्रनादिक प्रत्येक पृथ्वीना जूदा जूदा प्रतरे शरीरना प्रमाणनो यंत्र. 1 रत्नप्रना. प्रतर. 2 3 4 5 6 7 | ए | 10 | 11 / 12 / 13 धनुष्य. 1 1 2 3 3 4 4 5 6 6 7 7 by ny 3m अंगुल. 17 1 // mur 10 // 3 11 // 20 // 13 | 2 शर्करप्रना. 4 5 6 7 / ए 10 10 11 12 13 14 14 |oor प्रतर. धनुष्य. 20 am DP / . | / र५ प (U अंगुल. 3 वाबुकप्रजा. 4 पंकप्रजा. प्र० 1 2 3 4 5 6 7 | ए प्र० 1 2 3 4 5 6 | ध० 15 17 १ए 13 25 27 ए३१/ध० 31 36 41 46 55 57 65 |500 अंग 11 अं०.१५ // 3 // 17 13 // ए 10 अं० 0 (20116 15 750 5 धूमप्रना. 6 तमःप्रना. तमस्तणप्रना. | 23 3 प्रण | ए३ 10 // ध० 125 र 250 धन 031 0 15 हवे ए साते नरक पृथ्वी शेने श्राधारें रहेली ने ते कहे . नारकीना मध्यमां वच्चे . घनोदधिनो पिंगवीश हजार योजन , अने घनवात, तनुवात तथा आकाश असंख्याता योजननो पिंक बे, तेमां धनवातथी असंख्यातगुणो तनुवात डे, अने तनुवातथी असं ख्यातगुणो थाकाशनो पिंम बे. घनोदधि, घनवात उपर प्रतिष्ठित बे, घनवात तनुवा त उपर प्रतिष्ठित , तनुवात श्राकाश उपर प्रतिष्ठित ने श्राकाश को उपर प्रतिष्ठित नथी. ए घनोदध्यादिक चार वलयें करी सर्व पृथ्वीयो वीटेली , ते अनुक्रमें मध्य जागथी चारे दिशायें चारे वलय प्रदेशे प्रदेशे घटतां घटतां यावत् श्राप थापणी