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________________ रए देवादिक संबंधि आयु प्रमुखना यंत्रो. दिशिकुनिश्रमितवाहनें. 11573,4 श्रांतरामां. दिशिकुमार निकायअमितें दशमो पाथडो. 300 योजन प्रमाण. एमां नरकावासा . पवनकुमारनि० प्रनंजनें. 11573,4 आंतरामां. पवनकुमार निकायवेलंबकेंज. अगियारमो पाथडो. 3000 योजन प्रमाण. एमां नरकावासा . स्तनितकुमार निकाय घोड़, 11573,5 अांतरामां. स्तनितकुमार निण्महाघोर्षे बारमो पाथमो. 3000 योजन प्रमाण- एमां नरकावासा . ए श्रांतरामां शून्य बे. 11573,4 श्रांतरामां. ए अांतरो शून्य बे. तेरमो पाथडो. 3000 योजन प्रमाण. एमां नरकावासा . अधो नाग. 1000 योजन प्रमाण. नरकावासा रहित बे. सर्वसंख्या. 170000 योजन... रत्नप्रजानो पिंड प्रमाण बे. हवे नारकीमा प्रतरें प्रतरें 5 जूई उत्कृष्ट देहमान कहे बे. . रत्नप्रजाना प्रथम प्रतरें उत्कृष्ट देहमान त्रण हाथर्नु बे, अने तेरमे प्रतरें सात धनु ष्य त्रण हाथ ने उ अंगुल , तेमांथी पहेलो प्रतरना त्रण हाथ काढीयें, तेवारें शेष सात धनुष्य ने आंगुल रहे. ते सात धनुष्यना अहावीश हाथ थाय. तेने तेर प्रतर मांथी प्रथमनो प्रतर एक मूकी शेष बारने बांके वहेंचीये, तेवारें एक नागमां बे हाथ श्रावतां बार उचोवीश हाथ जाय, बाकी चार हाथ रहे. तेनां बन्नु अंगुल थाय तेनी साथे प्रथमनी अंगुल उपर बे, ते मेल वियें, तेवारें 102 अंगुल थाय, तेने बार ने थकि वहेंचतां एक नागमां साडाबाउ अंगुल आवे, तेवारें बे हाथ ने सामाश्राप अंगुलनी वृद्धि करतां बीजो पांच हाथ ने सामाआठ अंगुल देहमान थाय. एम प्रतरें प्रतरें बे हाथने सामाआठ आंगुल वधारतां यावत् तेरमे प्रतरें सात धनुष्यनी उपर त्रण हाथ ने अंगुल देहमान थाय. फरी तेटर्बुज देहमाए बीजा नरकना प्रथम प्र तरें कहे. वली शर्कराने अगीयारमे प्रतरें एथी बमणुं देहमान थवानुं बे, माटें ज स्कृष्टामांथी जघन्य देहमान काढीयें, एटले पोणा श्राप धनुष्य ने उ अंगुल वधे, तेना अंगुल करीयें, तो 750 थाय, ते शर्कराना अगियार प्रतरमांथी पहेला प्रतरतुं आयु कहेवाणुं माटे तेने पडतुं मूकी बाकी दश प्रतरें वहेचीये तेवारे पंचोतेर अंगुल एक नागमांथावे तेना त्रण हाथ ने त्रण अंगुल थाय, तेटबुं प्रत्येक प्रतरें देहमान वधारतां अगीयारमे प्रतरें साडा पन्नर धनुष्य ने बार अंगुल देहमान थाय, तेटवू देहमान वली त्रीजी नरकने प्रतरे आणीने पड़ी तेज करण करवू एम सर्व नरकपृथ्वीयें करतां देह प्रमाण थाय. ते सर्व नीचेंना यंत्रथी जो लेजो.
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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