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________________ चोवीश दंडकें पांत्रीश घार. 167 ते व्यंतरदेवोना श्राप निकाय , तेनो पण दक्षिण श्रेणि श्रने उत्तर श्रेणिना प्र त्येके एकेक इंउ गणतां श्राप निकायना शोल इंसो . ते व्यंतरोनां नगर, उत्कृष्टां महोटां ते जंबूलीप जेवमां लांबां पहोला बे, श्रने घ णां न्हानां , ते जरतक्षेत्र जेवमां (556) योजनने उ कला प्रमाण बे. तथा मध्य म विमान ते महाविदेह समान (3364) योजननी जपर उगणीया चार नाग जेव मा बे, ते आठ व्यंतर निकायनां नाम तथा तेमना इंडोनां नाम तेमज चिन्ह प्रमु ख पूर्वोक्त नवनपतिनी पेठे सर्व वातो नीचेना यंत्रथी जो लेवी. हवे जेम व्यंतर देवोना आवनिकाय कह्या तेम वली रत्नप्रजाना उपरलां एकशो योजनना मिमांहे दश योजन नीचे तलीये मूकीये अने दश योजन उपर मुकीये,शेष एंशी योजन पृथ्वीपिंडमांहे बीजा वाणव्यंतरना आठ निकाय डे, एटले मेरुमध्यवर्ती गोस्तनने श्राकारे आठ रुचक प्रदेशथी नीचे दश योजन मूकीने नीचला एंशी योजनमा श्राप निकायना दक्षिण दिशि अने उत्तरदिशिना नेदे करी बेबे इंसो बे, तेमनां नाम तथा निकायनां नाम आदिक चिन्ह वर्ण प्रमुख सर्व, नीचला यंत्रोथकी जाणवां. __ इहां व्यंतरना शोल तथा वाणव्यंतरना शोल मली बत्रीश इंछ व्यंतर देवोना अ ने वीश नवनपतिना. तेमज यद्यपि सूर्य अने चंड असंख्याना इंस, तथापि जा तिनी अपेदाये एक न एक सूर्य, ए बे इंड ज्योतिषीना सेवा अने पहेलां देवलोकथी आठमा 6. सुधी एकेक इंज, अने नवमा दशमा ए बे देवलोक नो एक, तथा अगीयारमा, बारमा, ए वे देवलोकनो एक, मली बार देवलोकना द श इंज गणतां सरवाले चोशठ इंछ संख्याये जाणवा. - वली एटलं विशेष ने जे, ज्योतिषी अने व्यंतर, ए बे निकायने विषे इंजोना लोक पाल तथा गुरुस्थानीया जे त्रयस्त्रिंशदेवता, ते नथी. हवे व्यंतर देव देवीयोनुं जघन्योत्कृष्टायु कहे . व्यंतर अने वाणव्यंतरना देवो तथा देवीयोनुं जघन्यायु दश हजार वर्ष जाणवू, अने देवोनुं उत्कृष्टायु संपूर्ण एक पट्योपमनुं जाणवू. तथा देवीयोनुं उत्कृष्टायु अर्ज पत्योपमनुं जाणवू. अने श्री ही धृति, कीर्ति, बुद्धि अने लक्ष्मी, एब देवीयोनुं जे एक पख्योपमायु कह्यु बे, ते देवीयो नवनपतिनी बे, पण व्यंतरनी नथी. व्यंतरना था युना यंत्रनी स्थापना नीचे करीये बैये, तेथी तेनुं आयु जाणवं.
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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