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________________ 132 अढीछीपना नकशानी हकीगत. हवे पुष्करा दिकना पर्वत प्रमुखने विषे जिनजिवन बे, ते कहे बे. प्रथम कह्या जे धातकीखंग तेने विषे बे श्खुकार, अने बे श्खुकार पुष्कराना, ते चारे खुकार पर्वतने विषे प्रत्येके चार कूट बे. तेमांहे बेबा सिजकूटने विषे चार प वते एकेक जिननवन बे, बधां मली चार जिनजवन दे. अने मानुषोत्तर पर्वतना चार कूटनी उपर चार जिननवन , ते जिननवन कुलगिरिना जिननवनने परिमाणे प चास योजन लांबां, पञ्चीश योजन पहोला अने उनीश योजन ऊंचां जाणवां. हवे नंदीश्वर, कुंडल श्रने रुचकहीपनेविषे जिननवन कहे बे. एकसो योजन लांबा अने पचास योजन पहोला तथा बहोंतेर योजन ऊंचा अने चार बारणे सहित एवां आठमा नंदीश्वरछीपने विषे बावन जिननवन , तथा कुंभ लहीपनेविषे कुंडलने आकारे जे मध्य गिरि , तेने कुंडल गिरि कहे , तेनी चार दि शाने विषे एवाज प्रकारना चार जिनजवन जाणवां. एम रुचकछीपने विषे पण चार जिननवन बे, ए सर्व साठे जिननवन ते चार बारणानां बे. अढीछीपने विषे गर्नज मनुष्य संख्याये केटलां ले ? ते कहे बे. सात क्रोड कोमाकोमी कोमी, बाणुं लाख कोडाकोडी कोमी,अहयावीश हजार कोमा कोडी कोडी, एकशो कोमाकोडी कोमी, बाशठ कोमाकोडी कोडी, एकावन लाख कोमा कोडी, बहेंतालीश हजार कोमाकोमी, बशे कोडाकोमी, तालीश कोडाकोडी,सामत्री श लाख कोडी, जंगणसाठ हजार कोमी, त्रणशे कोडी, चोपन कोडी, उंगणचालीश लाख, पच्चास हजार, त्रणशे ने त्रीश, एटले आंके स्त्री पुरुषनी संख्या जाणवी. एटले सात कोड, बाणुं लाख, अध्यावीश हजार, एकशो ने बासठ कोमाकोमी कोमी, तथा एकावन लाख, बहेंतालीश हजार, उशे ने तालीश कोडाकोमी, तथा सा डत्रीशलाख, उंगणशाप हजार, त्रणशे ने चोपन कोमी, तेनी उपर उंगणचालीश लाख, पच्चास हजार त्रणशे ने उनीश, एटला अांक स्त्री पुरुषना एका साथे जाणवा. एटले जए२७१६२,५१४२६४३,३७५७३५४,३५५०३३६, ए जंगणत्रीश ांकनी संख्या जाणवी. ___ ए आंकना श्रध्यावीश नाग करीये, तेवारे एक नागमां शशए५७७, 2326522, ए७११ए, पुणएरश्६, ए अध्यावीश आंक श्रावे, एटले अध्यावीश लाख कोमाको मी कोमी, जंगणत्रीश हजार कोडाकोडी कोडी, पांचशे कोडाकोडी कोमी, सत्योतेर कोमाकोमी कोडी, तथा त्रेवीश लाख कोडाकोडी, बबीश हजार कोमाकोडी, पांचशे को माकोमी, बावीश कोमाकोमी, सत्ताणुं लाख कोमी, सत्त्योतेर हजार कोमी, एकशो को मी अने जंगणीश कोमी, तेनी उपर उंगण्याएंशी लाख, शहाणुं हजार, बशे ने बबीश,
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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