________________ 130 अढीछीपना नकशानी हकीगत.. मध्यदेवनी ध्रुवांकराशि जाणवी. एक करोड, आडत्रीश लाख, चम्मोतेर हजार, पांचशे ने पांशठ, एटली पुष्कराना अंत्यदेवनी ध्रुवांकराशि जाणवी. हवे ए ध्रुवांक जाणवा नी पेरे लखीये वैये ॥यथा॥ पुरकरदलं मिनसुया, र धायश्संडा उ उगुण वासहरा // खित्तं फुसंति लकति,पणवन्न सहस्स उसय चुलसी // 1 // तेणूणा कालोयहि,परीही इहपढ महो धुवरासी॥ दीव मद्य परिही, गिरिपीढ़णोय मजि धुवो // 2 // नरखित्त अंतपरि ही, गिरिपिढ़णाय अंत धुवरासि // पुवंचगणणहरणो, खित्तपमाणं नवे पयमं // 3 // हवे अनुक्रमे देत्रप्रमाण विवरीने लखीये बैये. पुष्कराईने विषे नरत ऐरवतना आदिध्रुवांक अध्याशी लाख, चउद हजार, नवशे ने एकवीश तेने एक साथे गुणीये, ते वारे तेहीज श्रांक श्रावे, तेने बशे ने बार नागे वेहेंचीये, तेवारे एकतालीश ह जार, पांचशे ने उंगण्याएंशी योजन लन्यमान थाय. उपर एकशो ने तहोंतेर योजन वधे, ते एक योजनना बशें बार नाग करी, तेने बशें ने बार नागे वेहेंचीये, तेवारे उपर बशें ने बारीया एकशो ने तहोंतेर नाग श्रावे, एटलो प्रथम विस्तार . तेमज त्रेपन हजार, पांचशे ने बार योजन उपर बशें बारीया, एकशो ने नवाणुं नाग, एट लो मध्य विस्तार जाणवो. पांसठ हजार चारशें ने बेतालीश योजन उपर बशे ने बा रीया तेर नाग, एटलो अंत्यविस्तार जाणवो. हेमवंत ऐरण्यवंतनो आदि विस्तार एक लाख, बासठ हजार,त्रणरों ने जंगणीशयोजन उपर बशे ने बारीया बप्पन नाग बे, अने मध्य विस्तार बे लाख, चउद हजार ने ए कावन योजन उपर बशें बारीया एकसो ने साठ नाग , तथा अंत्यनो विस्तार बे लाख, एकसठ हजार, सातशे ने चोराशी योजन उपर बशें ने बारीया बावन नाग . हरिवर्ष तथा रम्यक्नो श्रादिविस्तार बलाख, पांसठ हजार, बशें ने सत्योतेर योजन उपर बशें ने बारीया बार नाग , अने मध्य विस्तार आठ लाख, बप्पन हजार, बशें ने सात योजन उपर बशे ने बारीया चार जाग , तथा अंत्य विस्तार, दश लाख,सुमता लीश हजार, एकशो ने बत्रीश योजन उपर, बशें ने बारीया बशे ने श्राप नाग ले. विदेह क्षेत्रनो श्रादिविस्तार, बबीश लाख,एकसठ हजार, एकशो ने आठ योजन उ पर बशें ने बारीया अमतालीश नाग बे, अने मध्य विस्तार चोत्रीश लाख, चोवीशह जार, आठशे ने अध्यावीश योजन उपर बशें ने बारीया सोल जाग , तथा अंत्यविस्ता र एकतालीश लाख, अध्याशी हजार, पांचशे ने बेतालीश योजन उपर बशें ने बा रीया एकशो ने बन्नु नाग जे. ए गुणांक, क्षेत्रांक अने ध्रुवांक, ते सर्व यंत्रथी जाणवा. हवे प्रथमनी पेरे नदी, गिरि अने वनमुख, परिमाण काढीने शेष रहे, तेने सोल