________________ 126 अढीछीपना नकशानी हकीगत.. दी विजय, अने वनमुख तेनो विस्तार ते क्षेत्रना अनुमाने करी जाणवो. एटले पूर्व धातकी खंम तथा पश्चिमधातकी खंमर्नु बन्ने खुकार दिशिये जेवू देत्रनुं लांबपणुं ; ते वक्षस्कारादिकनुं पण लांबपणुं जाणवू. तथा पूर्व धातकीखंमनां सात देत्र, अने पश्चिम धातकीखंडनां सात क्षेत्र, ते चार लाख योजन लांबां जाणवां. हवे वासक्षेत्रना विजयनो विस्तार कहे जे. क्षेत्रना शांक जे एक, चार, सोल ने चोशव ए एनी साथे धवांक गणीये, पछी बशेने बार जागे वेहेंचीये, तेवारे वासदेत्रनो सर्वत्र आदि, मध्य अने अंत्यनो विस्तार होय . हवे धातकी खंमना ध्रुवांक कहे जे. प्रथम क्षेत्रना चउद लाख बे हजार बशे ने सत्ताएं एटला ध्रुवांक जाणवा. तथा मध्यदेवना बबीश लाख समसठ हजार बसो ने आठ ध्रुवांक जाणवा. तथा अंतदे त्रना ध्रुवांक ३५३११ए जाणवा. __ अंहीयां प्रथम देवना ध्रुवांक जे चौद लाख बे हजार बशे ने सत्ताणुं बे, श्रने क्षेत्र नो आंक एक बे, माटे एके गुणीये, तेवारे तेहीज क श्रावे. तेने बशे ने बार नागे वेहेंचतां 3 हजार उसो ने चौद योजन जाकेरा, एटलो जरत तथा ऐरवतनो आदि विस्तार जाणवो. अने बार हजार पांचशे ने एक्याशी योजन काफेरो मध्य विस्तार बे, तथा अढार हजार पांचशे ने सुमतालीश योजन कारो अंत्यविस्तार बे. हेमवंतने ऐरण्यवतनो आदिविस्तार बवीश हजार चारशे ने अहवन योजन जाके रो बे, मध्य विस्तार पचास हजार त्रणशे ने चोवीश योजन जाफेरो अने अंत्यविस्तार चम्मोतेर हजार, एकसो ने नेवू योजन जाफेरो जे ए सर्व चारे गुणतां चौगुणा थया. हरिवर्ष अने रम्यक क्षेत्रनो आदि विस्तार एक लाख पांच हजार आठशे ने तेत्रीश योजन जाफेरो, अने मध्य विस्तार बे लाख एक हजार बशे ने अहाणुं योजन जा फेरो बे, तथा अंत्यविस्तार बे लाख, बन्नं हजार, सातशे ने वेशठ योजन जाफेरो बे. विदेहनो आदिविस्तार चार लाख, त्रेवीश हजार,त्रणशे ने चोत्रीश योजन जाकेरो बे, अने मध्य विस्तार आठ लाख, पांच हजार एकसो ने चोराणुं योजन जाफेरो बे, तथा अंत्यविस्तार अगियार लाख सत्याशी हजार ने चोपन्न योजन जाफेरो बे, ए रीते ए चार स्थानकनो श्रादि, मध्य तथा अंत्यनो विस्तार कह्यो. ए ध्रुवांक चोशगंके गुण्या. __ अहीयां श्रादि ध्रुवांक चौद लाख. बे हजार, बशे ने सत्ताणुं योजन जाफेरा बे. तेने एक, चार, सोल, चोसठनी साथे गणीये, पडी बन्ने ने बार नागे वेहेंचतां यथोक्त मान लाने. अने मध्यध्रुवांक बबीश लाख, सडसठ हजार, बशे ने श्राप बे. तेने एक, चार