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________________ अढीछीपना नकशानी हकीगत. 125 योजन नूतल विस्तार , तथा नव हजार ने साडा त्रणशे योजन नंदनवननो वि स्तार जाणवो, त्रण हजार ने आठशे योजन सौमनस्य वननो विस्तार जाणवो, अने एक हजार योजन शिखानो विस्तार जाणवो. हवे वांवित स्थानकने विषे विस्तार आणवानो विधि आवी रीते केः-नूतलनुं पहो लपणुं नव हजार ने चारशे योजन , तेमांथी शिखरनुं पहोलपणुं एक हजार योजन काढीये, तो बाकी आठ हजार ने चारशे योजन रहे. ते नूतलथकी उंचुं चोराशीद जार योजन , तेनी साथे नाग आपतां, नाग पहोंचे नहीं. तेमाटे पाठ हजार चारशेने दशगुणा करिये. तेवारे चोराशी हजार थाय, ते उंचपणाना चोराशी हजार योजन साथे गुणीये, तेवारे एक योजननो दशमो नाग थावे. तो नूतलथकी जेवारे एक योजन ऊंचे चडीये, तेवारे विष्कंनमांहे एक योजनना दश नाग मांहेलो एक नाग घटे अने उतरतां वधे, एम प्रथमनी पेरे जाणQ. प्रथम जंबूहीपने विषे जे नदी, प्रपातकुंभ, कुंडमांहेला छीप, वनमुख, प्रह, लां वा पर्वत तथा कमल, एटला पदार्थनो विस्तार तथा नदीनुं उमपणुं, वली अहनुं लां बपणुं जे का, तेथी था धातकीखंमने विषे बमणुं जाणवू. हवे नशालवन, परिमाण कहे . एक लाख सात हजार श्रावशे ने उगण्याएंशी योजन मेरुपर्वतथकी पूर्व पश्चिम दि शाये लांबपणे नशालवन डे, एने जेवारे अध्याशीनागे वेहेंचीये, तेवारेबारशे ने बबी श योजन कांश्क कणा आवे; एटर्बु मेरुथकी नशालवन उत्तर तथा दक्षिण दिशा पहो ढुंबे. कुरुदेवनी जीवा बे लाख त्रेवीश हजार एकशो ने अहावन योजन जेटली जाणवी. हवे गयदंत गिरि वखाणे बे. पूर्व अने पश्चिम दिशाना बेहु धातकीखंमने विषे बाहेरनी दिशाये धातकीखमनी जगतीना पासाना चार गयदंत गिरि बे. ते पांच लाख उंगणोतेर हजार बशे ने 3 गणसाठ योजन लांबा जाणवा. अने बीजा जंबलीपनी जगतीनी दिशाना मांहेलाचा र गयदंत गिरि जे , ते त्रण लाख बप्पन हजार बशे ने सत्तावीश योजन लांबा जा णवा. तथा एक बाहेरनो गयदंतगिरि, अने एक मांडेनो गजदंतगिरि. ए बन्ने एक ग करीये, तेवारे कुरुक्षेत्रनुं धनुःपृष्ठ थाय, तेनुं प्रमाण नव लाख पच्चीश हजार चार शे ने ज्याशी योजन थाय. एटलुं धातकीखंमने विषे कुरुक्षेत्रनुं धनुःपृष्ट जाणवू // 23 // हवे वदस्कार अंतर नदी प्रमुखनां प्रमाण कहे . कुल गिरि तथा गजदंतनां प्रमाण कयां अने तेथकी अन्य जे वहस्कार, अंतरन
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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