________________ अढीलीपना नकशानी हकीगत. हवे अंतरछीपनो परिधि कहेले. पहेला चतुष्कने विषे नवशे ने उंगण पचास यो जननो परिधि , पळीना बचतुष्कने विषे प्रत्येके त्रणसो ने सोल योजननी वृद्धिक रीये // यथा // सोलुत्तर तिसयजुय, सपढम परिहिं वरावर चउकं // पढमे नवगुणवन्ना, साबीए बारपण सही // 1 // तश्ए पनरिकारसि, चउबए पुणअढार सगणग्या // जो यण बावीस सया, तेरहिया पंचम चउकं // 2 // पणवीस गुणतीसा, बठे चरमेडवी स पणयाला // परिहीअंतरदीवा, सत्तचउकाण नायबा // 3 // 17 // ए पूर्वोक्त प्रकारे वली शीखरी पर्वतने विषे पण ईशानकूण प्रमुख चार विदिशि ने विषे चार दाढा , श्रने ककेकी दाढाये सात सात अंतरछीप, तेवारे चार दा ढाना थहावीश थाय. ए रीते हेमवंत तथा शिखरीना एका गणतां सर्व मलीने छ प्पन्न अंतरछीप जाणवा. ए सर्व उप्पन्न अंतरछीपने विषे युगल मनुष्य रहे . तेनुं पक्ष्योपमने असंख्यातमे जागे आयुष्य जाणवू. ते युगलीयाना श्रावशे धनुष्यनां उंचां शरीर ,वली तेनां शरीरने विषे चोसठ पांसली बेवली थाहारनी श्छा एकांतरे उपजे डे,श्रने उंगण्याएंशी दिवसलगे अपत्य पालनकरेजे. ___ मेरुपर्वतथकी पश्चिम दिशिने विषे जगतीथकी बार हजार योजन लवणसमुरुमांहे सुस्थित एवे नामे जे लवणसमुनो स्वामी देव , तेनो गौतम एवे नामे एक छीपले. ते गौतमहीपनी बन्ने बाजु जंबलीपना बे सूर्य अने लवणसमुना बे सूर्य, तेना बेबे द्वीप जाणवा. एटले वचमां गौतमहीप, अने बन्ने पासे बे बे सूर्यठीप . __जगतीथकी छीपनुं वेगलाश्पणुं अने छीपनो माहोमांहे अंतर तथा छीपनो वि स्तार ते बार हजार योजन जाणवो. वली ए प्रकारेज पूर्वदिशिने विषे जगतीयकी बार हजार योजन लवणसमुरुमांहे बे चंद्रमा जंबूहीपना अने बे चंद्रमा लवणसमु जना. ए रीते चार चंद्रमाना चार छीप जे. ए प्रकारे बाहेरथकी धातकीखंडने विषे तथा मंदरपर्वतथकी पूर्वपश्चिम दिशे लवणसमुनी जगतीथकी बार हजार योजन लवण समुनमांदे शिखानीदिशि फरे तिहां बे चंद्रमा लवण समुज्ना, अने उ चंडमा धातकीखंडना, ए रीते श्राप चंउमा ना छीप पूर्वदिशिये बे, तथा बे सूर्य लवणसमुजना, अने उ सूर्य धातकीखंडना ए वं आठ सूर्यना छीप पश्चिम दिशे . ए चंडमा अने सूर्यना द्वीप पाणी उपर केटला जे ? ते कहे बे. ए पूर्वे कह्या जे चंडमा अने सूर्यना द्वीप ते जंबूझीप तथा धातकीखंडनी.दिशिक्षी जोतां साडी अध्याशी योजन उपरे पंचाणुया चालीश नाग एटला पाणीथी उपर बे,