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________________ 10 अढीछीपना नकशानी हकीगत.. 16 शोलमे बोले ब खममा बत्रीश हजार देश होय. माटे एकंदर देश संख्या कहेजेः-तिहां जंबूछीपमा एक नरत बीजो ऐरवत अने बत्रीश विजय मली चोत्रीश थानक व खंड वाला बे ते प्रत्येक थानकमां 32000 देश गणतां 10700 देश जंबूहीपमां बे तथा 2176000 देश धातकी खंममां बे तथा 2176000 देश पुष्करा कमां बे सरवाले अढीछीपमा 54J0000 देश ने. 17 सत्तरमे बोले ब खंडमां पांच अनार्य खंम अने एक थार्य खंड तिहां आर्य खंग मां अयोध्या नगरी, तेनी संख्या कहेजेः-जंबूमां चोत्रीश अयोध्या, धातकीमां अडशठ अयोध्या अने पुष्कराईमां अडश मली एकसो सीतेर अयोध्या अढोछीपमां अने आर्यखंम पण एकशो सीतेरले. ते आयोध्या नगरी बार योजन लांबी श्रने नव योजन पहोली होय सर्वेनी एज मर्यादा जाणवी. तिहां जे आर्यखंड होय तेमां धर्म होय तीर्थकर, गणधर, चक्री, बलदेव, वासुदेव प्रमुख त्रेशठ शिलाका पुरुष आर्य खममां उपजे, मोद गमन होय अने पांच अनार्यखममां धर्म न होय, सर्व म्लेच होय. .. 17 श्रढारमे बोले कया खंगमा केटला देश होय ते कहेजेः-तिहां उखममां मली 32000 देश होय तेमां पांच अनार्यखममा प्रत्येके 5317 देश होय अने बहा आर्य खंडमां 5320 देश होय तेमां साढा पचीश देश आर्य अने बीजा अनार्य देश जाणवा. ए रीते अढीछीपना सर्वे खंममां देश नी मर्यादा जाणवी. एमां 5317 देश पांव अनार्य खममां लखेलाबे. परंतु 5336 देश गणतां 32000 देशनो हीसाब मले. पण एक प्रतमां तथा एक पट्टमां उपर कहेली रीते लख्युं बे. ते प्रमाणे में पण अहीं लख्युं . १ए उगणीशमे बोले विद्याधर तथा शानियोगीक देवनी श्रेणीयो वैताढ्य दीपकहेतिहां प्रत्येक वैताढ्य दीठ त्रण त्रण कांड तेमां नूमीथी दश योजन प्रथम कांड तेने दक्षण पासे पचाश नगर अने उत्तर पासे साठ नगर विद्याधरनां ने एवी बेबे श्रे णी वैताढ्ये लेवी तेवारे जंबूहीपमां चोत्रीश वैवाढ्यनी अडश श्रेणी, तथा धातकीमां 136 अने पुष्कराईमा 136 मली 340 श्रेणी विद्याधरनी. हवे वैताढ्यनां प्रथम कां मथी वली दश योजन ऊंचो बीजो कांड तिहां दक्षण उत्तर बे पासे अनियोगिक देवोनी बे श्रेणीने तेथी पूर्वोक्तरीते एनी पण 340 श्रेणी अढीछीपमांडे ए बेहुनी श्रेणी एकठी करीये तेवारे 670 श्रेणी अढीछीपमांबे. 20 वीशमे बोले अह संख्या कहेजेः-तिहां प्रथम जंबूझीपमां शोल पहले ते देखाडे प्रथम हेमवंत पर्वते पद्मपहले, बीजो महा हिमवंते महापद्मप्रह, त्रीजो निषधपर्वते तिमिलिअहजे, चोथो शिखरीपर्वते पुंडरिक उहजे, पांचमो रूपीपर्वते महापुमरिक पह ने, हो नीलवंत पर्वते केशरीमहडे, एप्रकारे उ अह तो पर्वतोनी उपरेने. हवे दश प्रह
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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