________________ अढीछीपना नकशानी हकीगत. 123 दश योजन एक पासे मूक्या, अने दश योजन वीजे पासे मूक्या, तेवारे त्रीश योज न वैताढ्य पहोला बे, माटे पहेली मेखलाये पर्वतनुं तलियुं त्रीश योजन , तिहां प्रतर (377304 ) योजन उपर अगीयार कला , अने तिहांथी दश योजन ऊंचा चमिये तिहां सुधी ए पर्वत बेहु पासे सरखो त्रीश योजन पहोलो , माटे प्रतरना आंकने दश योजननी उंचा साथै गुणीये, तेवारे (3073745) योजन उपर पन्नर कला एटवू पहेली मेखलाये घनगणित जाणवू. वली बीजी मेखलाये ए पर्वतना दश योजन उत्तरनी पासे मूकीये, अने दश योजन दक्षिणनी पासे मूकीये, तेवारे वैताढ्य पर्वत दश योजन पहोलो डे, अने बन्ने पासे मथाला पर्यंत पांच योजन ऊंचो , तेमाटे तिहां दश योजन पहोलो ने, तेना प्रतर गणि तनो श्रांक 152461 उपर दश कलानो , तेने जंचपणाना पांच योजन साथे गुणीये, तेवारे 512307 योजन उपर बार कला एटबुं बीजी मेखलाये घनगणित थाय. हवे समस्त वैताढ्य पर्वतनुं धन गणित कहीये बैयें. वैताढ्यनुं प्रतर गणितएर२१५३ योजन उपर चौद कला , ए श्रांकने वैताढ्यनी पच्चीश योजननी उंचार , परंतु तेमां जुदी जुदी त्रण राशिने जुदा जुदा ऊंचाश्ना योजन साये त्रण प्रकारनो पूर्वोक्त रीते गुणाकार करीये, तेवारे सर्व मली एशए योजन उपर चौद कला थाय. हवे हिमवंतपर्वतर्नु घन गणित कहे . हिमवंतने तलीये २१४५६एर योजन श्राव कला अने दश प्रतिकला एवं प्रतरगणित , तेने हिमवंत पर्वतनी एकशो योजननी ऊंचा , तेनी साथे गुणतां (२१४५६ए७१४४) योजननी उपर शोल कला अने वार प्रतिकला एटलो आंक घनगणितनो थाय. महा हिमवंत पर्वतनुं घनगणित कहे , एने तलीये प्रतर गणित 1576726 दश कला अने पांच प्रतिकला , ए पर्वत बेहु पासे सरखो बशे योजन ऊं माटे प्रतर गणितना श्रांकने वशे गुणो करतां 3(173637300 योजन उपर कला एटवू घनगणित थाय एटले योजनना चोसला खंडुक थाय. पर्वतर्नु घनगणित कहे . निषध पर्वतने तले १४२५४६६५६ए योजन उपर एटवं प्रतर गणित , तेने ए पर्वतनी चारशे योजननी ऊंचाइ साथे ग रे (५७०र७६६२ ) योजन उपर अढार कला घनगणितनी थाय. पूर्वोक्त गणित प्रमुख करवाने आलसु होय ते मनुष्यने वास्ते यंत्रोनी स्थापली , तेना उपरथी जो ले, अने जे मनुष्य माह्या निपुणबुझिवाला उद्यमते तो पोतेज गणित करी वर्त्तारो करी लेशे.