________________ 20 দ্যাক্কাঃ 604 337 453 623 642 84 .. पद्यानि पृष्ठाङ्काः पद्यानि देशरश्मिशतोपमद्युति 263 |दुःखैकबन्धुरयमृक्षदातारो यदि कल्पशाखिमि 443 | दुन्दुभयो दिवि दध्वनु 153 दानं वित्ताहतं वाचः | दुर्गे भद्रे सुभद्रेऽदिति 291 दारुणरणे रणन्त 241 दुर्वारा मदनशरव्यथां दिअरस्ससरअमउअं 669 दुलहजणअणुराओ दिअहे दिअहे सूसइ 672 | दूति जे मुहुत्तं दिक्कालात्मसमैव यस्य विभुता 181 | दूरपडिबद्धराए दिग्वासा यदि तत्किमस्य 340 दूरं मुक्कालतया दिमातङ्गघटाविभक्त 114, | दृश्यं दृशां सहस्रः 180 175,643,695 दृश्यस्त्वयायं पुरतः 217 दिट्ठाइवि जंण्ण दिट्ठो 373 | दृष्टः कथं सुतनु. 165 दिट्ठा कुविआणुणआ 671 | टेष्टा दृष्टिमधो ददाति दिट्टे जं पुलइनसि 617 दृष्टिं हे प्रतिवेशिनि दिने दिने सा परिवर्धमाना | दृष्टि+न्दनमालिका 362 दिवं पत्काषिणो यान्ति दृष्टे लोचनवन्मनाङ्मुकुलितं 576,729 दिवो जागर्ति रक्षायै 408 दृष्ट्वा विभ्रमणीमेषा 394 दिशामलीकालकभङ्गता . 342 दृष्ट्वैकासनसंस्थिते 73,662 दिश्यार्जटिजूटकोटि 367 देयानश्चण्डधामा - दिष्ट्या सोऽयं महाबाहुः 694 देवः शशाङ्कशकलाभरणः 285 दीर्घपुच्छश्चतुष्पादः 35 | देवधिष्ण्यमिवाराध्य 132 दीसई ण चूअमउलं 384 देवव्रते वाञ्छति दीर्घनिद्रा 80 दीहो दिअहमुअंगो 1. रघुवं० 13-72. परं 'अशात१. रघुवं. 8-29. 2. गा० स० | बन्धु'-इति पाठः. 2. रत्नावली 2-1. 2. गा० स० 7.91. 3. सुभाषितावली. 4. भट्टप्र 3. रत्नाव० २.१.४.नागानन्दे 3-35. भाकरस्येत्यौचित्यविचारचर्चायां क्षेमेन्द्रः. 5. कुमार० 1-25. 6. काव्याद. 2- | | ५.धनिकस्य दशरूपके 2-19 ऑफ़ैक्टमते 49. . 7. कादम्बरी 18. 8. उत्तर | विज्जकायाः. 6. शार्ङ्गधरप० 7. अरा० 1.32. 9. गा० स० 6.42, / मरुश० 19. 8. काम्याद० 1.90, 408 286 427