________________ 240 740 232 178 665 : पद्यानि पृष्ठाङ्काः पद्यानि पृष्ठावाः कृतवीतापरित्यागः 679 / कोपो यत्र भुकुटिरचना 575 कृतककुपितैर्बाष्पाम्भोमिः 696 | कोऽभिप्रेतः सुसंस्थानः 101 कृत्वा पुंवत्पातमुचैः | कोऽयं भामिनि भूषणं 299,696 केधा येन शिरोरुहेषु कोला खणन्ति मोत्थं कृष्णार्जुनानुरक्तापि 547,553 | को सो जोअणवाओ 303 कृष्णेनाम्ब गतेन रन्तुमनसा 580 | क्रान्तकान्तवदनप्रतिबिम्बे 380 केचिद्वस्तुनि नो वाचि 67 क्रिये जयसि जृम्भसे .. 291 केनचिन्मधुरमुल्बणरागं 633 / कोडे मा डिम्भमादाय केयं मूर्ध्यन्धकारे क्लाम्यन्ती यदुपेक्षितासि 658 केलीगोत्तक्खलणे 622 क्वचिदने प्रसरता 41 कैवलं दधति कर्तृवाचिनः के नु ते हृदयंगमः सखा केशव यमुनातीरे क पेयं ज्योत्स्नाम्भः 298 298 त प्रस्थितासि करभोरु को एसोत्ति पलोडं 340 कोकिलालापमधुराः क्व युवतिमार्दवं क्व च 592 काकार्य व कलाधरस्य च कोकिलालापवाचाल: काकार्य शशलक्ष्मणः 127 को जयति जयति शर्वः 738 को नाम नोदयति 708 क्षणमात्रसखी सुजातयोः क्षितिविजितिस्थिति - 1. रघुवं० 15.1. 2. शिशुपा० | क्षितिस्थितिमितिक्षिप्ति 4-23. ३.वेणीसं० 3-42. ४.का-क्षिप्तं पुरो न जगृहे 610 ज्याद० 2-339. 5. कृष्णकर्णामृतकाव्ये 2.64, औचित्यविचारचर्चायां / 1. अमरुश० 38. 2. शिशुपा० चण्डकस्येति क्षेमेन्द्रः, हेमचन्द्रस्य | 10.3. 3. कुमारसं० 4.24. 4. अमकाव्यानुशासनेऽप्युदाहृतमिदं पद्यम् . | रुश० 71. 5. विक्रमोर्वशीये 4-33. 6. शिशुपा० 10.54. 7. प्रथम- | 34. ययातिचरित्रस्येति काव्यप्रकाशटीका चरणमात्रं, धनिकस्य दशरूपके. 8. शि- | काव्यकौमुदी. 6. विक्रमो० 4-33-34. शुपा० 14-66. 9. काव्याद० 2. 7. रघुवं० 8.37.. 8. काव्याद० 3354. 10. काव्याद० 1-48. / 85. 9. शिशुपा० 5-50. 481 29,236 271 271