________________ सरस्वतीकण्ठाभरणे विविधबन्धाः। BROOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOODS (1) अष्टदलपप्रवन्धःकर्णिकायां न्यसेदेकं द्वे द्वे दिक्षु विदिक्षु च / प्रवेशनिर्गमौ दिक्षु कुर्यादष्टदलाम्बुजे // . and9000000000000000000000000000000000000000000Rapnang ---------- ----- oopapapadapooSDARDASDOOS याश्रिता पावनतया यातनच्छिदनीचया। याचनीया धिया माया यामायासंस्तुता श्रिया // (द्वितीयपरिच्छेदे पृ. 272 श्लोकः 284) Ban00000000000000000000000000000000