________________ 5 परिच्छेदः / ] सरखतीकण्ठाभरणम् / 669 दीपोत्सवो यक्षरात्रिः। यथा'अण्णे वि हुँ होति छणा णे उणो दीआलिआसरिच्छा दे। जत्थ जहिच्छं गम्मइ पिअर्वसही दीवअमिसेण // 315 // ' [अन्येऽपि खलु भवन्ति क्षणा न पुनर्दीपालिकासदृक्षास्ते / यत्र यथेच्छं गम्यते प्रियवसतिर्दीपकमिषेण // ] शमीधान्यशूकधान्यानामाणामेवामिपक्कानामभ्यवहारोऽभ्यूषखादिका / यथा'वाग्गिणा करो मे देहोत्ति पुणो पुणो चिअ हेइ / हलिअसुआ मलिअच्छुसदोहेली पामरजुाणे // 316 // " [निर्वाणामिना करो मे दग्ध इति पुनः पुनरेव कथयति / हालिकसुता मृदितोच्छासदोहदिनी पामरयूनि // ] प्रथमत एवेक्षुभक्षणं नवेक्षुभक्षिका / यथा'दिअरस्स सरअमउअं अंसूमइलेण देइ हत्थेण / पढमं हिअअं बहुआ पैच्छा गण्डं सदन्तवणं // 317 // ' देवरस्य शरन्मृदुकमश्रुमलिनेन ददाति हस्तेन / प्रथमं हृदयं वधूका पश्चादिक्षु सदन्तव्रणम् // ].. . 1. 'हि' क., 'अस्से वि हि' ख. 2. 'ण' क.ख. नास्ति., 'छणा णो' ग. 3. 'सरिच्छो दे' क.ख. 4. 'पिअवसदी' क.ख., "पिअवसई' घ. 5. 'दीअवमिसेण' क.ख. 6. 'शमिधान्य' ख. 7. 'अभ्युपखादिका' क., 'अभ्युषखादिका' खः 8. 'वा अणग्गिणा' क., 'अणग्गिणा' ख. 9. 'दद्धोत्ति' क.ख. 10. 'कहेहिइ' क. 11. 'हालिअसुआ' क.ख. 12. 'दोहला' क., 'दोहसा' ख. 13. 'पामरजुवाणे' क., पामरजुवाणो' ख. 14. 'बहुआ' घ. 15. पवठ्ठा' ख. ..,