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________________ [ 7 ] श्रीशद्धेश्वरपार्श्वनाथस्तोत्रम् श्रीशद्धेश्वरपार्श्वनाथस्तोत्र (उपेन्द्रवज्रा छन्द) अनन्तविज्ञानमपास्तदोष, महेन्द्रमान्यं महनीयवाचम् / गृहं महिम्नां महसां निधानं, शङ्खश्वर पाश्र्वजिनं स्तवोमि // 1 // अनन्त विज्ञान से युक्त, दोषों से रहित, महेन्द्र द्वारा माननीय, पूजनीय वाणीवाले, महिमानों के आवासस्थल तथा तेजों के भण्डार श्रीशंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान् की मैं स्तुति करता हूँ // 1 // महानुभावस्य जनुर्जनुष्मता, गुणस्तवैरेव दधाति हृद्यताम् / घनं वनं कान्तवसन्तसम्पदा, पिकोरवैरेव समृद्धमीक्ष्यते // 2 // हे देव ! प्राणियों का जन्म आप जैसे महानुभाववालों की स्तुतियों से ही सुन्दरता को धारण करता है अर्थात् सफल होता है, क्योंकि वसन्त की सम्पत्ति से परिपूर्ण वन भी कोकिल के कलरव से ही समृद्ध देखा जाता है // 2 // प्रवर्ण्यसंवर्णनकश्मलाविलः, स्वकार्यरक्तस्य कवेगिरां रसः / गुणस्तवर्देव ! तदातिनिर्मलो, भवत्यवश्यं कतकोत्करोपमः // 3 //
SR No.004396
Book TitleStotravali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherYashobharati Jain Prakashan Samiti
Publication Year1975
Total Pages384
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, P000, & P055
File Size20 MB
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