________________ { 489 अ. पा. सू. पृ. प्रियवशाद् वदः / 5 / 1 / 107 / 287 घुसृत्वोऽक: साधौ / 5 / 1 / 69 / 281 प्रैषाऽनुज्ञाऽवसरे कृत्यपञ्चभ्यौ / 5 / 4 / 29 / 6 प्रोपादारभ्भे. / 3 / 3 / 51 / 232 प्वादेहूस्वः / 4 / 2 / 105 / 162 फेनोमबाष्पधूमादुद्वमने / 3 / 4 / 33 / 218 बन्धेर्नाम्नि बलिस्थूले दृढः .. बहुलम् .. बहुलं लुप् बहुविध्वस्तिलात् तुदः बिभेतीषु च ब्रह्मणो वदः ब्रह्म-भ्रूण-वृत्रात् क्विप् ब्रह्मादिभ्यः ब्रूगः पञ्चानां पञ्चाहश्च ब्रूतः परादिः .. / 5 / 4 / 7 / 395 / 4 / 4 / 69 / 313 / 5 / 1 / 2 / 275 / 3 / 4 / 14 / 203 / / 5 / 1 / 124 / 290 / 3 / 3 / 92 / 231 / 5 / 1 / 156 / 294 / 5 / 1 / 161 / 295 / 5 / 1 / 85 / 284 / 4 / 2 / 118 / 105 / 4 / 3 / 63 / 105