________________ (487) _अ, पा. सू. पृ. पर्ययात् स्वदः / 4 / 2 / 27 / 188 पर्यायार्हणोत्पत्तौ च णकः / 5 / 3 / 120 / 382 पाणिकरात् / 5 / 1 / 121 / 289 पाणिममवाभ्यां सृजः / 5 / 1 / 18 / 269 पातेः / 4 / 2 / 17 / 187 पार्थादिभ्यः शीङः / 5 / 1 / 135 / 291 पाशाच्छासावेव्याह्वो यः / 4 / 2 / 20 / 187 पिबतिदाभस्थः सिचो लुप् परस्मै न चेट् . / 4 / 3 / 66 / 11 पुच्चादुत्परिव्यसने / 3 / 4 / 39 / 219 पुनाम्नि घः / 5 / 3 / 130 / 385 पुरन्दर-भगन्दरौ / 5 / 1 / 114 / 288 पुरा-यावतोर्वर्तमाना / 5 / 3 / 7 / 297 पुरोऽयतोऽने सर्तेः / 5 / 1 / 140 / 292 पूङ्-यनः शानः / 5 / 2 / 23 / 298 पूजाऽऽचार्यकभृत्युत्क्षेपज्ञानविगणनव्यये नियः . / 3 / 3 / 39 / 230 पूदिव्यश्चे शाधूतानपादाने / 4 / 2 / 72 / 308 पूर्वस्यास्वे स्वरे य्वोरियुत् / 4 / 1 / 37 / 21 पूर्वाग्रे प्रथमे / 5 / 4 / 49 / 390 .