________________ घटादेहस्वो दीर्घस्तु वा- घस्लसनद्यतनीघञचलि घस्वसः घुषेरविशब्दे घ्राध्मापाट्धेदृशः शः घ्राध्मोर्यङि (474) अ. पा. सु. . . पृ. / 4 / 2 / 24 / 176 / 4 / 4 / 17 / 176 / 2 / 3 / 36 / 54 / 4 / 4 / 68 / 313 / 5 / 1 / 18 / 280 / 4 / 3 / 98 / 201 * पित्रः पीप्य / 4 / 1 / 33 / 187 डौ सासहिवावहिचाचलिपापति / 5 / 2 / 38 / 300 चक्षो वाचि कशांग ख्यांग् / 4 / 4 / 4 / 102 चरफलाम् / 4 / 1 / . 53 / 199 चरेराङस्त्वगुरौ / 5 / 1 / 31 / 272 चरेष्टः / 5 / 1 / 138 / 291 चर्मोदरात् पूरेः / 5 / 4 / 56 / 392 चल्याहारार्थेबुधयुध- / 3 / 3 / 108 / 242 चहणः शाठ्ये / 4 / 2 / 31 / 189 चितिदेहावासोपसमाधाने- / 5 / 3 / 72 / 374 चित्ते वा / 4 / 2 / 41 / 186