________________ मन्तस्य युवावौ द्वयोः मरुपर्वणस्तः मातृपितुः स्वसुः मातृपित्रादेāयणीयणौ मात्रट् मानम् मानात् संशये लुप् मावर्णान्तोपान्ता-वः मासनिशासनस्य-वा . मुहगुहष्णुहप्णिहो वा मूल्यैः क्रीते मेघारथाद् नवेरः मो नो म्वोश्च मोऽवर्णस्य म्नां धुड्वर्गेऽन्स्योऽप्रदान्ते अ. पा. सू. पृ. / 2 / 1 / 10 / .8 / 7 / 3 / 15 / 221 / 2 / 3 / 18 / 168 / 6 / 1 / 90 / 168 / 7 / 1 / 145 / 214 / 6 / 4 / 169 / 203 / 7 / 1. / 143 / 214 / 2 / 1 / 94 / 219 / 2 / 1 / 100 / 19 / 2 / 1 / 84 / 57 / 6 / 4 / 150 / 202 / 7 / 2 / 41 / 224 / 2 / 1 / 67 / 66 / 2. / 1 / 45 / 7. / 1 / 3 / 39 / 15 यनसृजमृजराजभ्रान-शः षः / 2 / 1 / 87 / 67 यज्ञानां दक्षिणायाम् / / 4 / 96 / 284 यमोऽश्यापर्णान्तगोपवनादेः। 1 / 1 / 126 / 169