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________________ (4) रूपे प्रतिभागमां लखेल प्रशस्ति छ। तेना आधारे जणाय छे के१२ मी आपेल सदीभा जे पूज्य आचार्य श्री धर्मघोषसरि भगवंत थया हता। तेमोश्री पासेथी पूज्य आचार्यश्री विमलसूरि महाराजाना विद्वान् शिष्य-रत्न पूज्य श्री चंद्रकीर्ति गणिवरश्रीए पोताना स्वाध्याय माटे आगमना पर्यायोनी नोंध करी हती, ते नेधि केवी रीते हस्तलिखित थइ ते माटे हवे पछीना पेरेग्राफमां- .. .. ग्रंथलेखनकाल मादि जे समये ग्रंथकर्ता थया तेज़ समये पोरवाडवंशना शेठ धनदेव तथा शेठाणी इन्दुमतिने त्यां यशोदेव नामना महान् पुण्यात्मानो जन्म थथा हतो तेमने सतीओमा गणना पामेली तेषी पतिव्रता आंबी अांगना हती अने तेओने उद्धरण-आंबीग-वीरदेव नामना प्रण पुत्ररत्नो तथा सोली, लोली अने सोखी नामनी प्रण पुत्रीओ इती। आखु कुटुंब घणुज धार्मिक हतु / श्री जिनवचनना पाननी अने भूत उपासनानी घणीज लगनी इती। आथी तेओए घणाज ग्रंथो लखाव्या हता। प्रस्तुतग्रंथनी प्रशस्तिमा निर्मापिता' नामना ‘ण्यंत' प्रयोग तेमनी श्रुतभक्तिनी तालावेलीनी साक्षी पूरे छ / श्री जिनशासनभक्त आ श्राद्धवयें आ ग्रंयनी प्रत लखाधी हती। अने तेना परथी वि० सं० 1216 मां लहिया देवीप्रसादे मा प्रथ ताडपत्र पर लख्या, तेना परथी सुभाषक नगीनदास भाईए प्रेसकोपी करी हती। ग्रंथनी उपयोगिता __मा 'निःशेषसिद्धांतविचारपर्याय' ग्रंथमां मोटा भागना छेदग्रंथनी गूढविचार अने गूढपदो खारांशता अने कृतिनीपण लगभग 900 वर्षयी वधु प्राचीनता छे, अने वर्तमानकालना श्रुतधरोमां अग्रस्थानने शोभावनार मूर्तिमंत आयमस्वरूप पूज्य गच्छाधिपति आचार्यभगवंतीनी पुण्यदृष्टियी परिपूतता आ त्रिवेणी
SR No.004392
Book TitleNishesh Siddhant Vichar Paryay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabhsagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year1973
Total Pages188
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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