________________ परिशिष्टम् रुप्प पत्तेयबुहा टंकं जे लिंगधारिणो समणा / दव्वस्स य भावस्स य छेओ समणो समाओगे // 1139 // एत्थ य रुप्पगत्थाणीया पत्तेयबुहा जया वा दवलिंग नथि त्ति न कोइ ते पणमेइ / भणियं च किह लिंगमप्पमाणं ? उप्पण्णे केवले वि जं नाणे / न नमति जिण देवा सुविहियनेवत्थपरिहीणं // 'किह लिंगमप्पमाणं ?' गाहा- अया वा दवलिंगं गहियं तया मिज्जति / टंकत्थाणीया निण्हगा / सदगं तेवि रयहरणगोच्छपडिग्गहधारी तहवि मिच्छविट्ठी जे पासत्थाइ तेहिं भगवओ लिंगं गहियं न पुण सव्वं अणुपालिति त्ति / विसमाहयक्खरा अहवा संविग्गा वि जया निकारणे पाउयाहिं हिंडंति / एवमाइ तो विसमाहयक्खरा एवमाइ विभासा / आवस्सगचुण्ण / दिवसउ पाउओ हिंडइ / पचकल्पचूर्णिः / गिहत्थवेसे मूलं पक्कोए वा राऐ गिहत्थलिंगे। कल्पे / अद्धंसका पकं संजइपाउएकं सीसदुवारियाए.......मासो भण्णा एग अहोरत्त बुद्धीए बावट्ठिभागे छेत्ता तस्स एगसटिभागा चंदगइए तिहीसमत्तीप? भवइ / शहं पुण एवं उच्यते जइ अट्ठारसहि अहोरत्त सपहि सपहि। ........या तीउत्तरा लभंति तो एकेन अहोरत्तेण किं लभामो ? / एवं समीयकम्मए कए आगयं / एगसट्टि बावटिभागा अहोरत्तस्स य / सा एगसट्टी तीसार तिहीहि मासो भवइत्ति तीसाए गुणेयव्वा ताहे इमो रासी जाओ / 1830 / एयस्स एगसट्टीए भागो हायवो लद्धा तीस तिही / एवं एसो उउमासो निष्फन्नो / एस चेव कम्ममासो सावनमासो य लब्भइ / एस चेव रासी बावट्ठीहिए चंदमासो वि लगभइ / निशीथग्रंथे /